दिल्ली पुलिस ने सोमवार को विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह के कथित ‘कुत्ते’ वाले बयान को लेकर क्लीन चिट दे दी तो दूसरी ओर सॉस एंजिलिस में वीके सिंह फिर खुल कर बोले। इस बार सिंह ने आरोप लगाया है कि भारत में असहिष्णुता पर बहस उन लोगों ने छेड़ी, जिन्हें इस काम के लिए पैसे दिए गए और यह बहस कुछ ज्यादा ही कल्पनाशील लोगों के दिमाग की ‘गैर जरूरी’ उपज है, जो बिहार चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित थी। इधर दिल्ली में पुलिस का अदालत में कहना था कि वीके सिंह के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक शिकायत के मुताबिक उन्होंने कोई ‘विशेष अनादरपूर्ण और अपमानजनक’ बयान नहीं दिया जो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
विदेश राज्य मंत्री सिंह ने क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘(असहिष्णुता पर) यह विशेष बहस चर्चा का विषय ही नहीं है। यह उन बेहद कल्पनाशील दिमागों की अनावश्यक उपज है, जिन्हें बहुत सा धन दिया जा रहा है।’ इस दो दिवसीय समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जगह भाग ले रहे सिंह ने आरोप लगाया कि भारत में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस राजनीति से प्रेरित है और बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व जानबूझ कर इसे पैदा किया गया। सुषमा स्वराज को पेरिस में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर दुबई से बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा।
सिंह ने भारत में असहिष्णुता के संबंध में किए गए सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि भारतीय मीडिया किस प्रकार काम करता है। मैं आपको उन सारी हास्यास्पद चीजों के बारे में बताऊंगा जो असहिष्णुता के बारे में कही जा रही हैं। जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए तो अचानक से बड़े-बड़े लेखों की बाढ़ सी आ गई और हायतौबा मचने लगी कि गिरिजाघरों पर हमले किए जा रहे हैं, ईसाइयत पर हमले किए जा रहे हैं।’
सिंह ने कहा, ‘गिरिजाघर में चोरी के एक छोटे से मामले को गिरिजाघर पर हमले के तौर पर पेश किया गया। क्यों? क्योंकि कोई था, जो वोट हासिल करने की कोशिश कर रहा था और मीडिया इसमें सहयोग कर रहा था। मुझे नहीं पता कि उसे इसके लिए पैसा दिया जा रहा था या नहीं। यह ऐसा निर्णय या राय है जिसके बारे में आपको स्वयं सोचना है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं आपको केवल तथ्य बता रहा हूं। चुनाव समाप्त होने के बाद सारा हो-हल्ला समाप्त हो गया।’
सिंह ने कहा, ‘ऐसा ही असहिष्णुता पर बहस के मामले में है। बिहार चुनाव समाप्त होते ही सब बंद हो गया। इसलिए हमें वे अनावश्यक बातें नहीं करनी चाहिए जो गलत हंै। मैं चाहता हूं कि जो लोग असहिष्णुता की बात करते हैं, आप अपने कागजों पर यह बात लिखें कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 70 से अधिक आयु के गांधीवादी (अण्णा हजारे) को आधी रात को उठाकर तिहाड़ में बंद कर दिया गया था, उस समय किसकी सरकार थी?’
उन्होंने कहा, ‘क्या इन लोगों को कुछ बोलने का नैतिक अधिकार भी है? इसलिए जो हो रहा है, हमें उसे लेकर अनावश्यक रूप से भ्रमित नहीं होना चाहिए और यह भारतीय मीडिया के लिए एक सबक है।’ सिंह ने इससे पहले प्रवासी भारतीय दिवस में अपने संबोधन में कहा कि समग्रता नरेंद्र मोदी सरकार की विशिष्टता बन गई है।
सिंह ने कहा, ‘भारत में चीजें बदल गई हैं। भारत में पिछले साल नई सरकार के सत्ता में आने से भारत सरकार के रुख में बदलाव आया है। समग्रता सरकारी नीतियों की विशिष्टता बन गई है। भारत में इस समय जो माहौल पैदा किया जा रहा है, वह निवेशकों के अनुकूल है ताकि लोग निवेश करने के प्रति आश्वस्त महसूस कर सकें और यह सुनिश्चित किया जा सके कि आप भारत में निवेश का लाभ प्राप्त कर सकें।’
‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लेखकों, इतिहासकारों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों के बढ़ रहे विरोध के तहत प्रबुद्ध वर्ग के कम से कम 75 लोगों ने राष्ट्रीय या साहित्यिक पुरस्कार लौटाए हैं। उनका कहना है कि मौजूदा माहौल में देश के मजबूत लोकतंत्र को नुकसान हो सकता है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इन विरोधों को ‘कृत्रिम विद्रोह’ और ‘राजनीति’ से प्रेरित बता कर खारिज कर दिया है।
इधर दिल्ली में पुलिस ने विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह के कथित ‘कुत्ते’ वाले बयान को लेकर उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक शिकायत पर सोमवार को यहां एक अदालत में कहा कि सिंह ने कोई ‘विशेष अनादरपूर्ण और अपमानजनक’ बयान नहीं दिया जो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। पुलिस ने अदालत में दाखिल अपनी कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) में कहा कि फरीदाबाद में एक दलित परिवार के दो बच्चों को कथित तौर पर जिंदा जलाने की घटना के मद्देनजर 21 अक्तूबर को पूर्व सेना प्रमुख सिंह के कथित बयान को लेकर उनके खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध दर्ज नहीं किया गया है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुनीश गर्ग के सामने दाखिल एटीआर के अनुसार, ‘इस संबंध में दलील दी जाती है कि शिकायत के अनुसार अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति समुदाय के संबंध में कानून के अनुसार कोई अपमानजनक और अनादरपूर्ण बयान नहीं मिला। कोई संज्ञेय अपराध नहीं दर्ज किया गया।’ अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की।
अदालत ने 29 अक्तूबर को पुलिस को वकील सत्यप्रकाश गौतम द्वारा एससी-एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और आइपीसी के प्रावधानों के तहत सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दाखिल आपराधिक शिकायत पर एटीआर दाखिल करने का निर्देश दिया था।