देश में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में केवल 33 फीसद महिलाएं ही इसका इस्तेमाल करती हैं। हालांकि महिलाओं के बीच इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। यह जानकारी इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को दी।
उच्च सदन में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्य तिरुची शिवा ने लिखित सवाल पूछा था कि क्या राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में केवल 29 फीसद महिलाएं हैं? अगर हां तो इस अंतर को पाटने के लिए सरकार, विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए कोई योजना चला रही है?
इन सवालों के जवाब में इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने लिखित उत्तर में बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय जनसंख्या, स्वास्थ्य और संबद्ध ‘डोमेन’ महत्त्वपूर्ण आंकड़े जमा करने के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) करवाता है। देश में अब तक पांच बार एनएफएचएस करवाया जा चुका है। मंत्री ने बताया कि साल 2019-21 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक देश में 15-49 साल आयु वर्ग की केवल 33 महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। शहरों की 51.8 फीसद और गांवों की 24.6 फीसद महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं।
मंत्री ने बताया कि एनएफएचएस-5 के मुताबिक देश में 15-49 साल आयु वर्ग की 53.9 फीसद महिलाओं के पास मोबाइल फोन है जिसका वे स्वयं उपयोग करती हैं।उनके मुताबिक देश में सबसे अधिक गोवा की महिलाओं के पास मोबाइल हैं। यहां की 91.2 फीसद महिलाएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं। मध्य प्रदेश की केवल 38.5 फीसद महिलाओं के पास मोबाइल फोन है जिसका वे स्वयं उपयोग करती हैं, यह देश में सबसे कम है। इसी तरह उत्तर प्रदेश की 46.5, उत्तराखंड की 60.9, पश्चिम बंगाल की 50.1, चंडीगढ़ की 70, हरियाणा की 50.4, पंजाब की 61.2 और हिमाचल प्रदेश की 79.5 फीसद महिलाओं के पास मोबाइल फोन है जिसका वे खुद इस्तेमाल करती हैं।
वैष्णव के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2023 तक छह करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को शामिल करने के लिए देश में डिजिटल साक्षरता को आगे बढ़ाने के मकसद से 2017 में एक योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत 30 जनवरी, 2023 तक कुल 6.69 करोड़ लोग जुड़े और 5.77 करोड़ को प्रशिक्षित किया गया। इनमें से करीब 2.42 करोड़ (56 फीसद) लाभार्थी महिलाएं हैं।