आज 08 मार्च को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। लोग अपनी घर की महिलाओं को सुबह से बधाई भी दे रहे हैं। हो सकता है कि वे आज उन्हें एक चॉकलेट भी गिफ्ट कर दें। यह भी हो सकता है कि वे उन्हें उनके काम और मेहनत की दुहाई दे दें। अब होने को यह भी हो सकता है कि पुरुष आज अपनी घर की महिलाओं को विश भी ना करे। कई को तो याद भी नहीं होगा। वैसे भी महिला दिवस पढ़े-लिखे और शहरी लोगों का कल्चर है।
खैर, अच्छी बात यह है कि इस दिन के बहाने लोग समाज में महिलाओं की भूमिका को याद कर लेते हैं। जैसे-तैसे करके अब महिलाओं ने अपनी जगह बना ली है। वे हर क्षेत्र में नाम कर रही हैं। हालांकि अभी भी एक तबका ऐसा है जहां से महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल है। अगर जैसे-तैसे वे घर-परिवार को मैनेज कर बाहर निकल भी जाती हैं तो एक समय ऐसा आता है जहां उन्हें अपने कदम रोकने पड़ते हैं।]
अचानक महिला खुद में घर की चारदीवारी में क्यों कैद कर लेती हैं
एक छोटा सा उदाहरण दे रही हूं। घर में मेहमान आ गए, माता-पिता या बच्चा बीमार हो गया… पति-पत्नी दोनों वर्किंग है। अधिकतर मामलों में छुट्टी लेगी घर की महिला।
चौकाने वाले आंकड़ें
2017 से 2022 के बीच लगभग 2.1 करोड़ महिलाओं ने स्थायी तौर पर काम छोड़ दिया। इसका मतलब है कि ये महिलाएं तलाश ही नहीं कर रही हैं। सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में जहां 46 फ़ीसद आबादी अर्थव्यवस्था के कामगारों में शामिल थी, वहीं 2022 में ये हिस्सेदारी घटकर 40 प्रतिशत ही रह गई।
अक्सर देखा है जाता है कि करियर के मकाम पर पहुंच चुकी महिला अचानक अपने आपको घर की चारदीवारी में कैद कर लेती है। आखिर ऐसा होता क्यूं है। ऐसा क्या हो जाता है कि महिलाएं अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर घर में बैठ जाती हैं। जो नहीं छोड़ पातीं वे वर्क फ्रॉम होम और पार्ट टाइम का ऑप्शन तलाशने लगती हैं। मैंने मेरे आस-पास ऐसी कई महिलाओं को देखा है। आप खुद बताइए एक उम्र के बाद कितनी महिलाएं नौकरी पेशा में होती हैं।
काम और घर के बीच बैलेंस बनाना नहीं है आसान
दरअसल, कल एक डेटा पर मेरी नजर पड़ी। जिसमें काम और जिंदगी के बीच संतुलन को महिलाओं के नौकरी छोड़ने की वजह बताई गई। महिलाएं घर और ऑफिस को मैनेज करते-करते पिस जाती हैं। अब वे घर तो छोड़ नहीं पातीं, ऐसे में वे नौकरी को बाय-बाय बोल देती हैं।
दरअसल, ‘हीरो वायर्ड’ की तरफ से कराए गए सर्वे के मुताबिक, 70 प्रतिशत लोगों का मानना है कि महिलाओं के लिए काम और जिंदगी के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इससे महिलाओं का करियर विकास भी प्रभावित होता है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 77 प्रतिशत लोगों का कहना है कि पिछले सालों की तुलना में लीडिंग पोजिशन पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। हालांकि एक समय के बाद अधिकतर महिलाओं नौकरी छोड़ देती हैं। कई बार वर्क प्लेस के मौहाल के कारण भी वे अपना कदम पीछे ले लेती हैं।
शादी के बाद दोहरी जिम्मेदारी और सबकुछ ना कर पाने का गिल्ट
दरअसल, महिलाएं कितनी भी मॉडर्न क्यों ना हो जाएं एक समय के बाद उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ती है, खासकर शादी के बाद। शादी के बाद अक्सर देखा जाता है बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं। माना जाता है कि महिलाओं का पहला कर्तव्य अच्छी मां बनना होता है। जो महिलाएं नौकरी करती हैं तो एक अलग तरह के गिल्ट में जीती हैं। बच्चे को घर पर छोड़कर आने का गिल्ट उन्हें मानसिक तौर पर अंदर से तोड़ देता है।
एकल परिवार में अधिक चुनौती
उन महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है तो एकल परिवार में रहती हैं। खासकर वे महिलाएं जो बच्चे की देखरेख के लिए नैनी नहीं रख सकतीं। ऊपर से उन्हें समाज के ताने भी सहने होते हैं। जो लोग उन्हें यह एहसास कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते कि वे कितनी बड़ी पापिन हैं। जैसे कि वे कोई गुनाह कर रही हों। महिलाओं को सब चाहिए, उन्हें ये भी करना है, वो भी करना है। किसी से मदद लेकर भी वे गिल्ट में चली जाती हैं। कोई मदद के लिए पूछे तो मना कर देती हैं, “आप रहने दो, मैं कर लूंगी”।
आर्थिक मजबूरी
जो महिलाएं मध्यमवर्गीय परिवार से हैं पैसे की तंगी होने की वजह से वो किसी हेल्पर को भी रख नहीं पातीं। उन्हें सारी जिम्मेदारी खुद ही उठाना पड़ती है। इसके अलावा अगर महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद नौकरी से ज्यादा गैप ले लेती हैं तो उन्हें आसानी से मन पसंद का काम भी नहीं मिलता। वे घर परिवार में ऐसे रम जाती हैं , वही उनकी दुनिया बन जाती है। ऑफिस का वर्क लोड औऱ घर का बोझ… दोनों को एक साथ मैनेज करना उनके बस में नहीं होता, आखिरकार वे घऱ बैठ जाती हैं।
गैप के बाद नौकरी का मिलना नहीं आसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अंतराल के बाद काम पर लौटने वाली महिलाओं को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें कम आंका जाता है। उन्हें अच्छी सैलरी नहीं जाती है। दरअसल, लंबे गैप के बाद महिलाएं खुद को अलग-थलग महसूस करती हैं। उनकी स्किल छूट जाती है। इस कारण उन्हें नौकरी खोजने में परेशानी होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, करियर में दोबारा सहज होने और आगे बढ़ने की इच्छा के बावजूद ये चुनौतियां अक्सर महिलाओं को वर्क प्लेस पर उनकी क्षमता का पूरी तरह लाभ उठाने से रोकती हैं। असल में महिलाएं कितनी भी आगे बढ़ जाएं मगर कुछ दायित्वों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही होती है।
पुरुषों से बराबरी का मतलब समान वजन उठाने से नहीं हो सकता। ना ही उन्हें पुरुषों से आगे बढ़ने की होड़ है। ये कोई कंपटीशन नहीं है, यह महिलाओं की जिंदगी है जिनमें वे हर मोड़ पर संघर्ष कर रही होती हैं। अब बच्चे को दूध उन्हें ही पिलाना है, ऐसा नहीं है कि उन्हें उनके पार्टनर से सपोर्ट नहीं मिलता मगर क्या वह काफी है… महिलाओं के लिए वर्क प्लेस और घर में बैलेंस बनाना क्या इतना आसान है जितना दिखने में लगता है?