इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की पहली महिला चीफ इकनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान जताया है उसे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ‘Reality Check’ बताया है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा है कि अब यह काफी हद तक संभव है कि केंद्र सरकार के मंत्री आईएमएफ की चीफ अर्थशास्त्री के खिलाफ हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आईएमएफ और गीता गोपीनाथ को अब केंद्र सरकार के मंत्रियों के हमले को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
इससे पहले गीता गोपीनाथ ने अपने अनुमान में भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2019 के लिये कम कर 4.8 प्रतिशत किया है। आईएमएफ के ताजा अनुमान के अनुसार 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रहेगी। जबकि 2020 में इसमें थोड़ा सुधार आयेगा और यह 3.3 प्रतिशत पर पहुंच जायेगी। उसके बाद 2021 में 3.4 प्रतिशत रहेगी।
गीता गोपीनाथ ने दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के दौरान यह भी दावा किया था कि ‘80% पस्त वैश्विक आर्थिक विकास अनुमान के लिए भारत जिम्मेदार है।’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि गीता गोपीनाथ ने अनुमान लगाया है कि भारत के आर्थिक वृद्धि 2019 के लिये 4.8 प्रतिशत रह सकता है हालांकि मेरा मानना है कि यह इससे भी नीचे जा सकता है।
Reality check from IMF. Growth in 2019-20 will be BELOW 5 per cent at 4.8 per cent.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 21, 2020
गीता गोपीनाथ ने वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में देश की कुछ बड़ी समस्याओं की तरफ भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि कैश या उधार की कमी पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
आईएमएफ की तरफ से यह भी अनुमान जताया गया है कि अगले वित्त वर्ष में कुछ महत्वपूर्ण सुधार हो सकते हैं। कॉरपोरेट टैक्स में छूट एक अहम कदम साबित हो सकती है। गोपीनाथ ने है कहा कि कर चोरी रोकने के वास्ते डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये अंतरराष्ट्रीय कराधान व्यवस्था की जरूरत है।
