भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। सेना ने अब तक कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि एलएसी विवाद के बीच दोनों देश कोई कूटनीतिक साजिश रच रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा से जुड़े विभागों की तरफ से चीन और पाकिस्तान के रिश्तों की बारीकी से निगरानी की जा रही है, क्योंकि कुछ खुफिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि पाकिस्तान के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में चीन मदद कर रहा है। वह भी खासतौर पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में।

सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने ही भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) ने जानकारी दी थी कि चीन PoK में मिसाइल सिस्टम लगाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है। इससे साफ है कि चीन और पाकिस्तान की सेनाएं बेहतर गठजोड़ के लिए काम कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि पीओके के लसादन्ना ढोक इलाके में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पाकिस्तानी सेना सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम को लगाने का काम कर रही है।

खुफिया जानकारी में यह भी बताया गया था कि करीब 130 पाकिस्तान सेना के जवाब और 25 से 40 आम लोग मिसाइल सिस्टम की साइट पर निर्माण कार्य में जुटे हैं। इस मिसाइल सिस्टम का कंट्रोल रूम बाघ जिले में पाकिस्तान आर्मी ब्रिगेड के हेडक्वार्टर में बनाया जाएगा। खुफिया रिपोर्ट में यहां तक बताया गया है कि चीन के तीन अधिकारियों समेत कुल 10 पीएलए जवान कंट्रोल रूम में रहेंगे। R&AW के सूत्रों का कहना है कि ऐसे ही निर्माणों की जानकारी पीओके में स्थित झेलम जिले के चिनारी और हट्टियन बाला के चकोठी में भी मिली है।

इससे पहले जून में खुफिया एजेंसियों ने कहा था कि पाकिस्तान ने अपने एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को बीजिंग में पीएलए हेडक्वार्टर भेजा है, ताकि वह दोनों सेनाओं के बीच बेहतर गठजोड़ पर काम कर सके। इससे पहले 5 फरवरी को भारतीय कोस्टगार्ड ने एक चीनी युद्धपोत को पाकिस्तानी जलसीमा में देखा था। चीनी फ्रिगेट जियांगवेई-इल को पोरबंदर के तट से करीब 11 नॉटिकल मील दूर पाकिस्तानी सीमा में देखा गया था।  इससे पहले जनवरी में पाकिस्तान और चीन की नौसेना ने युद्धाभ्यास भी किया था। सूत्रों का कहना है कि चीन नौसैन्य हथियार दिलाने में भी पाक की मदद कर रहा है। फिलहाल पाकिस्तान को चीन से आठ युआन क्लास सबमरीन और चार टाइप 054ए फ्रिगेट मिलने वाली हैं।