आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे काफी समय से लंबित बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को लोकसभा ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। यह विधेयक इस संबंध में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगा। राज्यसभा में हालांकि इसे सहमति मिलने पर कठिनाई हो सकती है, इसलिए सरकार ने इसे संसद से पारित कराने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने के संकेत दिए हैं।

राज्यसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों को मिलाकर भी बहुमत नहीं है और कांगे्रस ने कहा है कि विधेयक को जिस तरह लोकसभा में लाया गया और पारित कराया गया है वह उसके खिलाफ है।

लोकसभा से विधेयक के पारित होने के बाद वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने पत्रकारों से कहा कि अगर राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं हो पाता है तो सरकार के पास संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाने के विकल्प हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यसभा में कांग्रेस इसे समर्थन देगी। साल 2008 में मूल विधेयक को लाने वाली कांगे्रस ने उच्च सदन में इसे समर्थन देने का वादा नहीं किया है।

कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पत्रकारों से कह कि उनकी पार्टी विधेयक के खिलाफ नहीं है। लेकिन इसे लोकसभा में जिस तरह लाकर पारित कराया गया है, वह उस तरीके के खिलाफ है। किसी विधेयक को एक सदन के पारित करने और दूसरे के खारिज किए जाने की स्थिति में उसे पारित कराने के प्रयास में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है।

जयंत ने कहा कि राज्यसभा में सरकार के पास संख्या की कमी है और ऐसे में हमें संख्या जुटाने के लिए अन्य दलों का समर्थन चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस उच्च सदन में उसे समर्थन देगी। लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में बीमा क्षेत्र का आकार और प्रभाव भी बढ़ रहा है। लेकिन इसकी तुलना में देश में बीमा के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या काफी कम है जो चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि अधिक से अधिक लोगों को बीमा के दायरे में लाने और इस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है। इस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ाने की जरूरत है। इस विधेयक के माध्यम से बीमा क्षेत्र में एफडीआइ को 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद तय किया गया है। सिन्हा ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत है। हम वैश्विक मानकों के अनुरूप इस क्षेत्र को तैयार कर रहे हैं। इसके साथ ही सुरक्षा व सभी के हितों की रक्षा करने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक पर सीपीआइ के सीएन जयदेवन के संशोधन प्रस्ताव को सदन ने नकार दिया। जबकि माकपा के पी करुणाकरण का संशोधन प्रस्ताव मत विभाजन के जरिए नामंजूर हो गया। चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बीमा क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने की सरकार की पहल पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा पर चुटकी लेते हुए कहा कि जयंत इस विधेयक को पारित कराने की वकालत कर रहे हैं। जबकि उनके पिता व वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने संसदीय समिति की रिपोर्ट में एफडीआइ बढ़ाये जाने का विरोध किया था जब यूपीए सरकार के समय यह विधेयक 2011 में लाया गया था।