न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता वाली भारत की पहली सबमरीन आईएनएस अरिहंत अब पूरी तरह ऑपरेशनल है। पनडुब्बी ने अपना पहला ‘डेटेरेंस पैट्रोल’ पूरा कर लिया है। 6000 टन वजनी अरिहंत बीते 3 दशकों से बेहद खुफिया कार्यक्रम के तहत विकसित किया जा रहा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर बधाई दी है।  उन्होंने क्रू मेंबर्स समेत उन सभी लोगों को बधाई दी जोकि इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए थे। पीएम ने कहा कि उन्हें इतिहास में याद रखा जाएगा। बता दें कि यह सबमरीन न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के तहत आती है, जिसकी अगुआई खुद पीएम मोदी करते हैं। मोदी ने ऐसे न्यूक्लियर क्षमता वाली सबमरीन को आज के वक्त की जरूरत बताया। पीएम के मुताबिक, जो लोग परमाणु ताकत के जरिए ब्लैकमेलिंग करते हैं, उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।

अरिहंत भारत के लिए सामरिक नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। दरअसल, इसमें समुद्र के अंदर कहीं से भी शहरों को तबाह कर सकने लायक मिसाइलें दागने की क्षमता है। इसके अलावा, एक खासियत यह भी है कि यह लंबे वक्त तक दुश्मन की नजर में न आकर वार कर सकने में सक्षम है। यह दुश्मन मुल्क की समुद्री सीमा के नजदीक जाकर गहरे पानी के अंदर से उनके ऊपर विनाशक परमाणु मिसाइलें दाग सकता है। अगर जमीन पर स्थित छोटी रेंज की मिसाइलों से  निशाना बनाना मुश्किल हो तो ऐसी परिस्थिति में ये सबमरीन बेहद कारगर है। इस उपलब्धि के साथ भारत भी अमेरिका और रूस की तरह उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो जमीन और हवा के अलावा समुद्र के जरिए भी दुश्मन पर हमला कर सकता है।

चीन ने भी 2015 से कथित तौर पर न्यूक्लियर क्षमता से लैस जंगी बेड़ों की गश्त शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने बीते साल सबमरीन से लॉन्च की जा सकने वाली बाबर मिसाइल का परीक्षण किया था। इस तरह से पड़ोसी मुल्क भी जमीन, हवा और पानी के जरिए न्यूक्लियर हमले करने में सक्षम है। उधर, इस उपलब्धि पर पीएम के अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बधाई दी है।