इस काम के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में गठित कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट मंत्री अनुराग ठाकुर को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘एवीजीसी’ क्षेत्र 2030 तक देश में 20 लाख नौकरियां उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्थानीय से वैश्विक’ मंत्र को आधार बनाते हुए कार्यदल ने भारतीय ‘सामग्री’ और पारंपरिक कलाओं व संस्कृति को दुनिया के मंच तक पहुंचाने के लिए ‘एवीजीसी’ क्षेत्र का विस्तार बेहद जरूरी है।

कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार के बताया है कि भारत में ‘एवीजीसी’ क्षेत्र का बाजार 2019 में 2.3 अरब अमेरिकी डालर का था। अगर दुनिया के बाजार में भारत की हिस्सेदारी की बात करें तो यह करीब 0.7 फीसद था। यह क्षेत्र 2025 तक 2.2 गुना बढ़ने का अनुमान है, जो ‘एवीजीसी’ वैश्विक बाजार का लगभग 1.5 फीसद हिस्सा होगा। भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कार्यदल ने पांच क्षेत्रों में बाजार पहुंच एवे विकास, कौशल एवं परामर्श, शिक्षा, प्रौद्योगिकी आइपी तक पहुंच बढ़ाना, वित्तीय व्यवहार्यता बनाना और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का प्रचार करने का सुझाव दिया है।

कार्यदल की ओर से कहा गया कि इस क्षेत्र के विस्तार के लिए भारत में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। साथ ही भारतीय युवा आज अन्य देशों के लोगों द्वारा बनाई गई ‘सामग्री’ को देख रहा है। हमें अपनी पारंपरिक कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ‘एवीजीसी’ क्षेत्र का विस्तार करना बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में 2030 तक 20 लाख युवाओं के लिए नौकरी के अवसर उत्पन्न होंगे। कार्यदल ने इस क्षेत्र के विस्तार के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बताई है।

कार्यदल ने सिफारिश है कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय को भारत में ‘एवीजीसी’ शिक्षा के लिए एक समग्र रूपरेखा तैयार करने में शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम करना चाहिए। कार्यदल ने इस क्षेत्र से संबंधित शिक्षा को छठी कक्षा से ही देने की बात कही है। कार्यदल का कहना है कि इस क्षेत्र को छोटे शहरों में ले जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के तहत एनसीईआरटी को स्कूल में बच्चों के लिए प्रासंगिक पाठ्यक्रम तैयार करना होगा। स्कूलों में कंप्यूटर प्रयोगशाला की तरह मीडिया और मनोरंजन स्टूडियो/प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि विद्यार्थियों को इस क्षेत्र के बारे में विस्तार जानकारी मिल सके।

इसके अलावा स्रातक और स्रातकोत्तर स्तर पर ‘एवीजीसी’ में पाठ्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की गई है। इसमें बैचलर आफ ग्राफिक आर्ट्स, बैचलर आफ विजुअल आर्ट्स इन गेम्स आर्ट्स डिजाइन, बैचलर आफ विजुअल आर्ट्स इन विजुअल इफेक्ट्स, बैचलर इन विजुअल आर्ट्स डिजिटल फिल्म मेकिंग, बैचलर या पीजी इन गेमिंग, एक्सआर आदि पाठ्यक्रमों के नाम भी बताए हैं।

कार्यदल ने ‘एवीजीसी’ क्षेत्र में प्रवेश की सुविधा के लिए ‘मीडिया एंड एंटरटेनमेंट क्रिएटिव एप्टीट्यूड टेस्ट’ (एमईसीएटी) या इसी तरह की परीक्षाओं का भी सुझाव दिया। इस तरह की परीक्षा से मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों में प्रवेश पाने वाले उम्मीदवार की रचनात्मकता योग्यता और तैयारी भी पता चलेगी।

कार्यदल के सदस्य और उद्योग की ओर से प्रतिनिधित्व से रहे आशीष कुलकर्णी के मुताबिक इस क्षेत्र के लिए 70 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की कवायद की जा रही है। अभी 154 विश्वविद्यालय ‘एवीजीसी’ से जुड़े पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 14 हजार विद्यार्थी इसकी पढ़ाई कर रहे हैं। संयुक्त सचिव कौशल अतुल तिवारी ने बताया कि इसमें छह माह से दो साल तक के अल्पकालिक पाठ्यक्रम के अलावा छठी से बारहवीं और उच्च शिक्षा के लिए स्रातक और स्रातकोत्तर पाठ्यक्रम की सुविधा होगी। आइआइटी बाम्बे और जोधपुर भी इसकी पढ़ाई करा रहे हैं। सरकार ने ‘एनिमेशन और ग्राफिक्स’ को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े लोगों को ‘प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस’ के तहत प्रशिक्षण देने के लिए अधिकृत करने का प्रावधान किया है।