India Pakistan Indus Waters Treaty: जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि भारत सरकार का सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का फैसला पाकिस्तान को करारा जवाब है। सिन्हा ने शनिवार को कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर को काफी फायदा होगा और वह अपनी हाइड्रो पावर की क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल कर सकेगा। बताना जरूरी होगा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। कुछ दिन पहले ही जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बिल्कुल साफ कहा था कि भारत इस बात को सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी के पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान को न जाए।

‘पाकिस्तान के इशारे पर किया गया नाटक…’

सिन्हा ने कहा कि भारत पावर प्लांट, इंफ्रास्ट्रक्चर, जलाशय का निर्माण करेगा और जम्मू-कश्मीर में बहने वाले नदी के पानी को नए इलाकों में डायवर्ट करेगा। सिन्हा ने कहा, ‘भारत का पानी अब भारत में ही बहेगा और भारत में ही रहेगा।’ उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि की समाप्ति के साथ अब झेलम और चिनाब नदियों पर हमारा पूरा कंट्रोल है।

उपराज्यपाल ने कहा कि अब जम्मू के ऐसे इलाकों की सिंचाई की जा सकेगी जो बंजर हैं और इस राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास को नई गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते पर रोक लगाकर भारत ने एक नई शुरुआत की है।

सिंधु जल संधि ऐतिहासिक भूल- सिन्हा

एलजी सिन्हा ने नवंबर 1960 में संसद में हुई बहस और सदन में प्रमुख नेताओं के बयानों का हवाला दिया और कहा कि सिंधु जल संधि ऐतिहासिक भूल थी, गलत थी, एकतरफा थी और इससे जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे का विकास रुक गया।

एलजी ने कहा कि भारत साफ कह चुका है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते और आतंक और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते।

भारत ने की थी एयर स्ट्राइक

बताना होगा कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।

सिंधु का पानी किसी और राज्य के साथ नहीं किया जाएगा शेयर