India Pakistan Water Dispute: पानी को लेकर भारत सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों को लेकर ताजा अपडेट यह है कि केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) ने सिफारिश की है कि सलाल और बगलिहार बांध पर फ्लशिंग एक्सरसाइज को हर महीने किया जाए। द इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर दी है। केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में बहने वाली चिनाब नदी पर चल रहे अपने दो हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स में पहली बार फ्लशिंग एक्सरसाइज की थी।

भारत ने यह भी फैसला लिया है कि वह पाकिस्तान को इस संबंध में कोई भी हाइड्रोलॉजिकल डाटा शेयर नहीं करेगा और फ्लशिंग ऑपरेशंस के बारे में भी नहीं बताएगा।

बताना होगा कि मोदी सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया था और सरकार इस पर कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।

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क्या होता है फ्लशिंग के दौरान?

फ्लशिंग के दौरान जलाशय (Reservoirs) में जो रेत-गाद मिट्टी (तलछट) वगैरह जम जाती है, उसे हटाने के लिए स्टोर किए गए पानी को छोड़ा जाता है क्योंकि यह जमी हुई गंदगी जलाशय की क्षमता को कम करती है और इससे हाइड्रो पावर आउटपुट पर भी असर पड़ता है। जब लगातार फ्लशिंग की एक्सरसाइज होती है तो उससे तलछट बाहर निकल जाती है।

इससे टरबाइन बेहतर ढंग से काम करती है और इसका सीधा असर यह होता है कि इससे बिजली उत्पादन अच्छा होता है और हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट की लाइफ भी लंबी होती है।

पहली बार सिंधु जल संधि की शर्तों पर चर्चा करने के लिए क्यों तैयार हुआ पाकिस्तान?

याद दिलाना होगा कि 4 मई को द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि NHPC और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सलाल और बगलिहार जलाशयों को साफ करना शुरू कर दिया है और उनकी सफाई भी इसी वजह से की गई थी कि जमा हुई तलछट बाहर निकल जाए क्योंकि इससे बनने वाली बिजली पर असर होता है। सलाल जलाशय 1987 में बना था जबकि बगलिहार जलाशय 2008 में। उसके बाद पहली बार इस तरह की फ्लशिंग एक्सरसाइज की गई थी।

पाकिस्तान जता रहा आपत्ति

पाकिस्तान ने इस फ्लशिंग एक्सरसाइज को लेकर लगातार आपत्ति जताई है क्योंकि फ्लशिंग के बाद जब तलछट हट जाती है और पानी को छोड़ा जाता है तो इससे नीचे की ओर पानी का प्रवाह बढ़ सकता है।

इससे पहले पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को लेकर कई बार आपत्ति की थी और तब इन काम को रोकना पड़ा था। द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि मई की शुरुआत में फ्लशिंग होने के बाद से सलाल और बगलिहार जलाशय से 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा तलछट को हटा दिया है।

क्या करने जा रहा भारत?

भारत सरकार के एक अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान की आपत्तियों की वजह से रुके हुए हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स को तेजी से आगे बढ़ाने, सिंधु नदी के कुछ हिस्से के प्रवाह को मोड़ने और नए प्रोजेक्ट बनाने पर भी विचार कर रहा है। अफसर ने बताया कि सिंधु जल संधि के तहत पहले किसी भी नए प्रोजेक्ट के लिए भारत को 6 महीने पहले पाकिस्तान को बताना पड़ता था लेकिन अब ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।

क्या है सिंधु जल समझौता?

19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच Indus Waters Treaty पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के अनुसार, भारत का पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर नियंत्रण है जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलता है।

Indus Waters Treaty सिंधु नदी के सिस्टम और उसकी सहायक नदियों से पानी के इस्तेमाल और उसके बंटवारे का प्रबंधन करता है। यह पाकिस्तान के लोगों के लिए पानी की जरूरत और खेती के लिए बेहद जरूरी है। सिंधु नदी के नेटवर्क में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं। भारत की ओर से सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के बाद पाकिस्तान ने पहली बार यह इच्छा जताई थी कि वह सिंधु जल संधि की ऐसी शर्तों पर चर्चा करना चाहता है जिन पर भारत ने आपत्ति जताई थी।