Indus Water Treaty News: केंदीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को घोषणा की कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन के कारण बचा पानी अगले एक से डेढ़ साल के अंदर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को उपलब्ध कराया जाएग। दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान 2025 का अनावरण करने के बाद बोलते हुए, मनोहर लाल ने कहा, “जैसा कहते हैं ना, आपदा में भी अवसर है। कभी-कभी, आपदा में भी अवसर पैदा होता है।”

उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि निलंबित कर दी गई थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान की ओर जाने वाला भारी मात्रा में पानी अब आने वाले एक-डेढ़ साल में दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को लाया जाएगा।” इस बीच, केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र ने दिल्ली को पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हथिनीकुंड बैराज के पास एक बांध बनाने हेतु एक और परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास बांध बनाने की योजना पीडब्ल्यूसी की सलाह से बनाई गई है।

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भारत ने सिंधु जल संधि रद्द की

यह संधि 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच लागू थी, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे और इस्तेमाल से जुड़ी थी। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध हो चुके हैं और पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद फैलाता रहा है, फिर भी यह संधि चलती रही। लेकिन अप्रैल में पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई, भारत ने पहली बार इस संधि को निलंबित कर दिया।

भारत को दिए गए थे विशेष अधिकार

संधि के तहत भारत को सिंधु नदी प्रणाली की पूर्वी नदियों सतलुज, व्यास और रावी के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे। इसका औसत सालाना प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है। पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी, जिसका औसत सालाना प्रवाह लगभग 135 एमएएफ है। यह पाकिस्तान को आवंटित किया जाता था। इसको अब बंद कर दिया गया है और भारत के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है।

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