Indrayani River Bridge Collapse: महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तहसील के कुंडमाला गांव के पास में रविवार दोपहर को इंद्रायणी नदी पर बना पुल ढह गया। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 18 लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि, पुल के एंट्री गेट पर एक चेतावनी बोर्ड लगा हुआ था। जिसमें लिखा था कि यह यात्रा के उपयुक्त नहीं है। यानी यात्रा के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस पुल को दो वर्ष पहले ही अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन पर्यटक इस चेतावनी को नजरअंदाज करते रहे तथा वीकेंड में इस स्थान पर आते रहे।
5 किलोमीटर दूर स्थित सोमाताने गांव के प्रतीक पवार ने दुर्घटनास्थल पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया , ‘वीकेंड पर यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। बोर्ड को सभी लोग अनदेखा कर देते हैं। वीकेंड पर, पुल पर जाने के लिए दोनों तरफ से कतार लगी रहती है। पुल तक जाने वाली सड़क के किनारे पार्क किए गए वाहनों से भरे होते हैं, जिससे पता चलता है कि यहां कितने लोग आते हैं। यह एक बहुत प्रसिद्ध सेल्फी स्पॉट है। वे सरपंच द्वारा लगाई गई चेतावनी को अनदेखा कर देते हैं।’
बातचीत सुन रहे एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘लोग पुलिस की भी नहीं सुनते, तो सरपंच की क्या सुनेंगे?’ स्थानीय ने पूछा, “सिर्फ एक चेतावनी बोर्ड लगाने के बजाय, पुल को यातायात के लिए पूरी तरह से बंद क्यों नहीं किया गया?”
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल दोनों तरफ के गांवों के ग्रामीणों, किसानों और दूध विक्रेताओं के लिए नदी पार करने का एकमात्र सुविधाजनक मार्ग था। अब जब पुल टूट गया है, तो ग्रामीणों को पुल के दूसरे छोर तक पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ेगा।
पुल की चौड़ाई इतनी है कि एक बार में एक ही दोपहिया वाहन पुल से गुजर सकता है। इसका मतलब यह है कि जब एक तरफ से दोपहिया वाहन पुल पर प्रवेश करता है, तो दूसरी तरफ के वाहनों को पुल पर चढ़ने से पहले उसके गुजरने का इंतजार करना पड़ता है।
पड़ोसी गांव शेलारवाड़ी के बालासाहेब शेलार ने कहा कि हर साल इस स्थान पर कुछ लोग मर जाते हैं। वे या तो सेल्फी लेते समय या नदी में उतरकर पानी का वीडियो बनाते समय फिसल जाते हैं।
वह बताते हैं कि कैसे अतीत में पुल को बंद करने के प्रयास असफल रहे हैं। अधिकारियों ने दो साल पहले एक लकड़ी का अवरोधक लगाया था, लेकिन लोगों ने उसे तोड़ दिया। लोग सरकार या पुलिस की भी नहीं सुनते। पुल की शुरुआत में एक बोर्ड लगा है और साथ ही इलाके के आसपास भी कुछ बोर्ड लगे हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इसी गांव के अनिल शेलार ने कहा कि पुराने पुल के बगल में नया पुल बनाना ही काफी नहीं है। बल्कि पुराने पुल को गिराना भी होगा। शेलार ने कहा कि नया पुल बनने पर भी लोग पुराने पुल का इस्तेमाल करते रहेंगे। हमें पुराने पुल को तोड़कर उसकी जगह नया पुल बनाना होगा। आखिर पुणे में कैसे हुआ इतना बड़ा पुल हादसा? पढ़ें…पूरी खबर।
(इंडियन एक्सप्रेस के लिए सोहम शाह की रिपोर्ट)