पाकिस्तान के अत्याचारों से बांग्लादेश को मुक्ति दिलाने के लिए 1971 में लड़ा गया युद्ध दक्षिण-पूर्व एशिया के लिहाज से काफी अहम रहा था। उस वक्त भारत और पाकिस्तान की सेनाएं एक दूसरे से भिड़ चुकी थीं और देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कूटनीतिक स्तर पर दुश्मन को चारों खाने चित्त करने का हर मुमकिन दांव चल रही थीं। लेकिन, युद्ध में विजय के बाद इंदिरा गांधी के एक मंत्री पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा। यह आरोप लगाने वाले नेता थे, लोक दल के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष राज नारायण।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के संपादकीय में “Who is the CIA Spy” में लिखा गया है कि राजनारायण ने बांग्लादेश युद्ध के दौरान कैबिनेट मंत्री जगजीवन राम पर सीआईए के लिए जासूसी करने की आशंका जताई। उन्होंने आरोप लगाया था कि जगजीवन राम बांग्लादेश युद्ध के दौरान सीआईए के लिए जानकारी लीक कर रहे थे। राजनारायण ने कहा कि इसकी जानकारी उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हो गई थी।

अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए राजनारायण ने उन हालातों का जिक्र किया, जिसके तहत बांग्लादेश में भारत द्वारा युद्ध जीतने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री (जगजीवन राम) से उनका प्रभार छीन लिया गया था।

राजनारायण के बयान की जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रशेखर ने निंदा की। उन्होंने उनके बयान को गैर-जिम्मेदराना करार दिया। उस दौरान लखनऊ के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब चंद्रशेखर से राजनारायण के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो, उन्होंने कहा था, “इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान के खिलाफ अवमानना का मामला बनाना चाहिए। क्या इस मामले में कोई प्रतिक्रिया होनी भी चाहिए? राजनारायण को कोई भी गंभीरता नहीं लेता।”