पड़ोसी देश भूटान में उपग्रह पर नजर रखने और संचार के सिग्नल ग्रहण करने लिए भारत एक बड़ा केंद्र स्थापित कर रहा है। रक्षा मंत्रालय की इस परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से इसके बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) को कहा गया है। यह इसरो के बंगलुरू स्थित उपग्रह पर निगहबानी वाले केंद्र से अलग होगा। इस ग्राउंड स्टेशन को सेना की बड़ी रणनीतिक संपदा के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां की प्रणाली से चीन, अमेरिका समेत कई देशों द्वारा भारतीय उपग्रहों, खासकर डेढ़ साल पहले अंतरिक्ष में भेजे गए रणनीतिक महत्त्व के ‘दक्षिण एशिया उपग्रह’ के सिग्नल रोके जाने का तकनीकी जवाब दिया जाएगा। इस केंद्र से भारत पूरे हिमालय क्षेत्र और हिंद महासागरीय क्षेत्र में अपने इलाकों की पुख्ता निगरानी कर सकेगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर घुसपैठ या रणनीतिक निर्माण (सड़क, बंकर वगैरह) करते समय चीन द्वारा कई दफा भारतीय उपग्रहों के सिग्नल ब्लॉक की घटनाएं सामने आईं हैं।
उपग्रहों के सिग्नल ब्लॉक करने पर बंगलुरु स्थित इसरो केंद्र से तकनीकी हल नहीं हो पाता, क्योंकि यह जगह सीमावर्ती क्षेत्रों से दूर है। अब भूटान के पहाड़ी इलाके में यह केंद्र खोले जाने से आसानी होगी। रक्षा मंत्रालय के सचिव संजय मित्र के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय अरसे से उपग्रह के सिग्नल समस्या के समाधान को लेकर रास्ता खोज रहा था। अब इस बारे में जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं। चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के नगारी में अपना अत्याधुनिक उपग्रह की ट्रैकिंग सेंटर और खगोलीय वेधशाला बना रखी है। यह जगह एसएलसी से महज 125 किलोमीटर की दूरी पर है। इस केंद्र से चीन भारतीय उपग्रहों पर नजर रखने के साथ ही अक्सर उनके सिग्नल जाम कर देता है। इससे भारत और भूटान-दोनों ही देशों को जरूरी सूचनाएं समय पर नहीं मिल पा रहीं।
इस समस्या के समाधान पर अभी हाल की भारत-भूटान प्रधानमंत्रियों की शीर्ष बैठक में मुहर लगी। हाल में भारत यात्रा पर आए भूटानी प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। उसके बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि ‘दोनों देश अंतरिक्ष विज्ञान में एक दूसरे का सहयोग करेंगे। भूटान में भारत की मदद से उपग्रह निगरानी केंद्र बनने के बाद दूरदराज के इलाकों में टेली-मेडिसिन और आपदा-राहत को लेकर महत्त्वपूर्ण सूचनाएं लाई-ले जा सकेंगी।’ इसरो ने पांच मई, 2017 को अपना उपग्रह (साउथ एशिया सेटेलाइट) अंतरिक्ष में भेजा था। योजना थी कि इस उपग्रह के जरिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत अपनी सीमा और अपने हितों पर नजर रख सकेगा। लेकिन डोकलाम गतिरोध समेत कई दफा घुसपैठ के दौरान चीन ने अपने तिब्बत केंद्र से भारत के इस उपग्रह समेत कई अन्य उपग्रहों के सिग्नल जाम कर दिए थे। भारत-भूटान घोषणापत्र में भी ‘इस उपग्रह से पूरा फायदा न उठा पाने की समस्या का हल खोजने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि प्राथमिकता के आधार पर तेजी से उपग्रह केंद्र का काम पूरा किया जाएगा।’ इस शिखर वार्ता के बाद पीएमओ ने इस बारे में इसरो को जरूरी निर्देश जारी किए हैं।