बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका अरुंधति राय ने भी अपना नेशनल अवॉर्ड लौटा दिया है। उन्हें 1989 में बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। राय का कहना है कि आज देश में हालत यह है कि किसी की पीट कर हत्या कर दी जाए तो फोरेंसिक सबूत जुटाने के नाम पर उसके फ्रिज का खाना लिया जाता है, घर में पड़ी उस शख्स की लाश नहीं देखी जाती।
राय ने यह भी साफ किया है कि अवॉर्ड लौटाने का उनका फैसला कांग्रेस या भाजपा से जुड़ा नहीं है। उन्होंने बताया कि 2005 में जब कांग्रेस सरकार में थी, तब वह साहित्य अकादमी अवॉर्ड भी ठुकरा चुकी हैं। उन्होंने एक लेख लिखकर अवॉर्ड लौटाने के कारण बताए। उनका यह लेख – मैं अवॉर्ड क्यों लौटा रही हूं – यहां पढ़ें।
उनके फैसले के बारे में हो रहे ट्वीट्स यहां देखें। Arundhati Roy ट्विटर के ट्रेंडिंग टॉपिक में शुमार रहा