यह खबर 140 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा करने वाली है। भारत की एक बेटी ने मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश जुटी यूरोपीय स्पेस एजेंसी के अभियान को एक स्टेप और आगे बढ़ा दिया है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली अनन्या श्रीवास्तव वर्तमान में ग्रह भूविज्ञानी हैं और वर्तमान में कनाडा में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही हैं।

अनन्या ने मंगल पर ढूंढी क्ले की मल्टीपल लेयर

अनन्या ने अपनी रिसर्च के दौरान यह पाया कि मंगल ग्रह पर क्ले की मल्टीपल लेयर (मिट्टी की कई परतें) हैं। अनन्या के शोध से पहले मंगल ग्रह पर क्ले की सिर्फ 2 लेयर (एक ऑरेंज और एक ब्ल्यू) की बात ही सामने आई थी। उनकी यह रिसर्च जल्द ही रिसाइंटिफिक जर्नल में पब्लिश होने वाली है।

2028 में मंगल पर रोवर भेजेगी यूरोपीय स्पेस एजेंसी

यूरोपीय स्पेस एजेंसी 2028 में मंगल ग्रह पर एक रोवर भेजने के अभियान पर काम कर रही है। इस रोवर का काम मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश करना है। अनन्या श्रीवास्तव भी इस अभियान का हिस्सा हैं। अनन्या रोवर की लैंडिंग साइट (जहां पर रोवर लैंड करेगा), की जियोलॉजी पढ़ रही हैं।

अभी क्ले मिनरल्स पर स्टडी कर रहीं अनन्या

अनन्या मूलतः क्ले मिनरल्स पर स्टडी कर रही हैं, क्योंकि जो क्ले मिनरल्स होते हैं, वे लाइफ को होस्ट कर सकते हैं, मतलब क्ले मिनरल्स में जीवन पाया जा सकता है। इसके अलावा रोवर पर जो इंस्ट्रूमेंट होंगे, उनके लिए डेटा बेस भी बनाने की जिम्मेदारी अनन्या की है। हालांकि, वह क्ले मिनरल्स पर स्टडी पूरी करने के बाद इस बिंदु पर काम करेंगी।

अब तक नहीं मिले मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत

बता दें कि अब तक मंगल ग्रह पर जीवन के कोई पुख्ता संकेत नहीं मिले हैं। जनसत्ता.कॉम से बातचीत में अनन्या ने अपनी रिसर्च और यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स रोवर अभियान के बारे में विस्तार से बताया। अनन्या ने कहा, ‘Mars (मंगल ग्रह) पर अब तक जीवन के संकेत नहीं हैं। मेरी रिसर्च से हमें यह चीज पता चली है कि उससे लगता है कि Past (पूर्व) में मार्स का जो क्लाइमेट (मंगल ग्रह की जलवायु) था, वह कुछ अलग तरीके से था।’

अनन्या की रिसर्स से कम हुआ रोवर का एक स्टेप

अनन्या ने बताया, ‘उदाहरण के लिए मान लीजिए की बारिश हुई तो क्ले की लेयर इकट्ठा हुई, फिर थोड़े समय के लिए सूखा पड़ गया और फिर से बारिश हुई, लेकिन जो मैटेरियल था वह कुछ और था तो दूसरे टाइप के क्ले की लेयर इकट्टा हुई। हम जब इन क्ले लेयर्स का अध्ययन करते हैं या समझते हैं तो हमें पता चलता है कि Past में मंगल ग्रह पर क्या या कैसा हुआ होगा। हमको यह तो पता है कि वहां रिवर (नदी) के चैनल हैं। वे सूखे हुए नदी के चैनल हैं, लेकिन चैनल हैं, लेकिन पानी नहीं है।’

…इसलिए अहम है अनन्या की रिसर्च

उन्होंने बताया, ‘ये मल्टीपल क्ले लेयर वाली बात है वह सिर्फ इस विशेष रीजन के लिए है। बाकी रीजन में हो सकता है मल्टीपल क्ले की लेयर मिल रही हो, लेकिन इस रीजन में मल्टीपल क्ले की लेयर पहले नहीं ढूंढी गईं थी। अब चूंकि हम (यूरोपीय स्पेस एजेंसी) वहां पर एक मिशन भेज रहे हैं। हम वहां एक रोवर भेज रहे हैं, इसलिए क्ले की मल्टीपल लेयर की खोज महत्वपूर्ण हो जाती है।’

अनन्या ने बताया, ‘हो सकता है कि मार्स की दूसरी जगहों पर पहले से ही क्ले की मल्टीपल लेयर्स हों, लेकिन यहां पर चूंकि मिशन जा रहा है इसलिए जब रोवर वहां जाएगा तो मैं जो स्टडी कर रही हूं उससे यह डिसाइड होगा कि उस रोवर को कहां एक्सपेरीमेंट करना है। उदाहरण के लिए मान लीजिये हमने लखनऊ के आलमबाग में रोवर भेजा तो वह आलमबाग में किधर जाकर एक्सपेरीमेंट करे जहां उसको हाई रिजल्ट मिलेंगे। उसको बस स्टैंड जाना चाहिए या सुजानपुरा जाना चाहिए… ये उसको मेरी स्टडी से डिसाइड होगा। तो अब रोवर उस एरिया में जाकर Experiment करेगा, वहां पर उसको सबसे ज्यादा रिजल्ट्स मिलेंगे।’

सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर कर रहीं एनालिसिस

अनन्या ने बताया, ‘मैं यह सब सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर एनालिसिस कर रही हूं। जैसे यह मल्टीपल क्ले की लेयर हो गई… तो रोवर वहां जाकर एक्सपेरीमेंट कर सकता है।’ अनन्या की रिसर्च से पता चलता है कि रोवर का एक स्टेप का काम पहले ही पूरा हो गया। नहीं तो पहले रोवर मार्स पर लैंड करता और एक्सपेरीमेंट के हाई रिजल्ट पाने वाली साइट का ढूंढता। हालांकि, अब वह सीधा उसी साइट पर एक्सपेरीमेंट करेगा, जहां अनन्या ने अपनी रिसर्च में क्ले की मल्टीपल लेयर्स का पता लगाया है।

स्टडी में यह जानकारी आई सामने

अनन्या ने बताया, ‘मेरी रिसर्च से यह पता चलता है कि मंगल ग्रह पर पानी बहुत ज्यादा और बार-बार आया था। इससे वहां की जियोलॉजी को लेकर हमारी नॉलेज चेंज हो गई है। अब तक कुछ और ही समझ रहे थे, लेकिन वह कुछ और ही निकला।’ कहना गलत नहीं होगा कि अनन्या की रिसर्च ने साइंस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी को एक स्टेप आगे बढ़ा दिया है।

NASA की जियोलॉजी टीम और कनाडा स्पेस एजेंसी से भी हैं जुड़ी

अनन्या श्रीवास्तव नासा की जियोलॉजी टीम का भी हिस्सा हैं और उनकी मिशन संबंधी गतिविधियों में हिस्सा ले रही हैं। यही नहीं, अनन्या कनाडा स्पेस एजेंसी के साथ भी जुड़ी हुईं हैं और उनके प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। हालांकि, वह किस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं, इस संबंध में उन्होंने अभी अधिक जानकारी नहीं दी।