रेलवे जल्द ही स्टेशनों में पहुंचने वाले अपराधियों की पहचान के लिए फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर देगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस तकनीक से संदिग्धों की पहचान करने में आसानी होगी और इससे अपराधों पर लगाम लगेगी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जून तक पटना समेत 6104 स्टेशनों पर चेहरा पहचानने वाले कैमरे लग जाएंगे। 2022 तक देश के सभी स्टेशनों पर यह सिस्टम लागू हो जाएगा।
सामान्य कैमरों के साथ अल्ट्रा एचडी कैमरे भी लगेंगेः देशभर के सभी स्टेशनों पर सामान्य कैमरे लगाए जाएंगे। हालांकि, ए1, ए, बी और सी श्रेणी के स्टेशनों में तय संख्या में 4के अल्ट्रा हाई डेफिनेशन (यूएचडी) कैमरे लगाए जाएंगे। जहां ए1 ग्रेड स्टेशनों में कुल 92 कैमरे लगेंगे, वहीं ए ग्रेड में 40, बी में 38, सी में 26 और डी-ई में 10 चेहरा पहचानने वाले कैमरे लग जाएंगे। बड़े स्टेशनों पर अल्ट्रा एचडी मोड के 8 कैमरे और छोटे स्टेशनों पर ऐसे 4 कैमरे लगेंगे। इन्हें ऐसी जगहों पर लगाया जाएगा, जहां से आने-जाने वाले लोगों पर पूरी तरह नजर रखी जा सके। इन्हें फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा।
पहले चरण में किन स्टेशनों में लगेंगे फेस रिकग्नीशन कैमरे?: चेहरा पहचानने वाले यह कैमरे पहले चरण में 17 शहरों में लगाए जाएंगे। इनमें दिल्ली, आनंदर विहार, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, भोपाल, जयपुर, कानपुर, पटना, अमृतसर, प्रयागराज, वाराणसी, बेंगलुरू, रांची, अहमदाबाद, चंडीगढ़ और रायपुर शामिल हैं।
कैसे काम करेगा फेशियल रिकग्निशन सिस्टम?: फेस रिकग्नीशन में सक्षम कैमरों को आमतौर पर एक सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले इस सॉफ्टवेयर में अपराधियों का डेटा फीड होता है। रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) अपने कंट्रोल रूम से इस डेटा के आधार पर ही संदिग्धों पर नजर रखेगा। सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग जांच के लिए 30 दिन तक रखेगा। वहीं कुछ जरूरी फुटेज को लंबी अवधि के लिए भी रखा जा सकता है।
चीन अपना चुका है यह सिस्टमः चीन पहले ही फेशियल रिकग्निशन तकनीक अपना चुका है। इसका इस्तेमाल वह रेलवे और एयरपोर्ट की सुरक्षा, अपराध की रोकथाम और यातायात नियंत्रण के लिए करता है। इस सिस्टम से कानूनी सेवाओं से जुड़े अधिकारियों को काफी मदद मिलती है।