देवांजना नाग

भारतीय रेलवे अपने ड्राइवरों और गार्ड्स के लिए सौगात लेकर आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब रेल ड्राइवरों और गार्ड्स को ड्यूटी के दौरान भारी-भरकम लोहे के संदूक नहीं ढोने पड़ेंगे, उन्हें इनकी जगह ट्रॉली बैग मुहैया कराए जाएंगे। लोहे की संदूक में रेल ऑपरेशंस को लेकर कई मैन्युअल किताबें, झंडा और अन्य जरूरी चीजें रखी जाती हैं, जिनका जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता है। लोहे के संदूकों की जगह ट्रॉली बैग लेंगे तो मोटी मैन्युअल किताबों की जगह ड्राइवरों और गार्ड को टैबलेट दिए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसी उम्मीद की जा रही है कि रेलवे के इस कदम से ड्राइवरों और गार्ड्स को काफी हद तक सामने आने वाली समस्याओं को हल करने में आसानी होगी, जिसका सकारात्मक असर यह होगा कि रेल संचालन के समय में सुधार आएगा। स्थानीय मीडिया के मुताबिक हाल में दिल्ली डिवीजन ने गाड़ी संख्या 12459 नई दिल्ली- अमृतसर इंटरसिटी एक्सप्रेस के ड्राइवर को ट्रॉली बैग दिया।

कहा जा रहा है कि इंजन तक या गार्ड तक लोहे की संदूक पहुंचाने के लिए एक पोर्टर की व्यवस्था करनी पड़ती थी, इस दौरान किसी भी तरह की देरी ट्रेन ऑपरेशन को भी बाधित करती थी। वहीं अगर ट्रेन के आने से पहले प्लेटफॉर्म पर संदूक को रखे जाते थे तो यात्रियों के लिए समस्या खड़ी हो जाती थी। हाल में दिल्ली के डिवीजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) आरएन सिंह ने नई दिल्ली-अमृतसर इंटरसिटी एक्सप्रेस के लोको पायलट सुदेश कुमार को ट्रॉली बैग देकर इस योजना की शुरुआत की। ट्रॉली में एक टैबलेट भी है जो ट्रेन ऑपरेशन के नियमों पर जानकारी देता है।

नेशनल ट्रांसपोर्टर के द्वारा उठाए जाने वाले इस कदम का रेलवे कर्मचारी स्वागत कर रहे हैं। रेलवे कर्मचारियों के मुताबिक रेलवे की इस पहल से उन्हें काफी मदद मिलेगी। रेलवे कर्मचारियों ने यह भी दावा किया है कि इससे आर्थिक तौर पर भी बचत होगी। उनका कहना है कि लोहे के भारी संदूकों को ढोने में लगने वाले पोर्टर से झंझट तो छूटेगा ही, टेबलेट के इस्तेमाल से किताबों की प्रिटिंग में लगने वाले खर्च से भी मुक्ति मिलेगी और इससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।