धीरज मिश्रा

Rail food safety rules: भारतीय रेल में सफर करने वाले लाखों यात्रियों के लिए ट्रेनों में मिलने वाला खाना अब चिंता का विषय बन गया है। बीते पांच वर्षों में रेलवे को खराब और बेस्वाद भोजन को लेकर 19,427 शिकायतें मिली हैं। ये चौंकाने वाला आंकड़ा शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया गया, जिससे यह साफ हो गया कि खाने की गुणवत्ता को लेकर रेलवे में गंभीर खामियां बनी हुई हैं।

राज्यसभा में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास (John Brittas) के सवाल पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railways Minister Ashwini Vaishnaw) ने बताया कि 2023-24 में 7,026 शिकायतें आईं, जबकि 2024-25 के अब तक के आंकड़ों में यह संख्या 6,645 रही है। हालांकि यह मामूली गिरावट है, लेकिन 2020-21 के मुकाबले यह भारी उछाल है, क्योंकि तब केवल 253 शिकायतें दर्ज हुई थीं।

2,195 शिकायतें ऐसी पाई गईं जिन्हें मौके पर ही निपटा दिया गया

रेलवे का दावा है कि शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई की गई। कुल 3,137 मामलों में जुर्माना लगाया गया, जबकि 9,627 बार संबंधित विक्रेताओं को चेतावनी दी गई। 4,467 मामलों में दुकानदारों को समझाया गया और सही तरीके से काम करने के लिए कहा गया। केवल एक बार (2021 में) किसी सेवा प्रदाता का लाइसेंस रद्द किया गया। वहीं, 2,195 शिकायतें ऐसी पाई गईं जिन्हें मौके पर ही निपटा दिया गया।

खानपान सेवाओं की देखरेख करने वाली आईआरसीटीसी ने विभिन्न ट्रेनों के लिए 20 सेवा प्रदाताओं को ठेके दे रखे हैं। इनमें वंदे भारत और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनें शामिल हैं। मंत्री वैष्णव ने बताया कि खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें बेस किचन में सीसीटीवी कैमरे लगाना, खाद्य सुरक्षा निरीक्षकों की तैनाती, ऑनबोर्ड सुपरवाइजर की नियुक्ति, औचक निरीक्षण और नियमित भोजन परीक्षण शामिल हैं।

लेकिन सवाल यह उठता है कि जब इतने उपाय किए जा रहे हैं, तो यात्री अब भी खराब खाने की शिकायत क्यों कर रहे हैं? लगातार बढ़ती शिकायतों ने रेलवे की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों की उम्मीद है कि रेलवे सिर्फ आंकड़ों में नहीं, जमीनी स्तर पर भी सुधार दिखाए।