भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रेलवे ने साल 2018-2019 में मार्च तक पिछले 40 साल के भीतर सुरक्षा को लेकर बेहतर आंकड़े हासिल किए हैं। साल 1980-81 में जहां 1130 दुर्घटनाएं हुई थीं जबकि साल 2018-19 में दुर्घटनाओं की संख्या घट कर महज 59 पर सिमट गई।

इस तरह रेल दुर्घटना में 94.8 फीसदी कमी आई। समान अवधि में 1981-82 में मरने वाले लोगों की संख्या 658 से घटकर साल 2018-19 घटकर 37 हो गई। यह कमी भी 94.4 फीसदी हो गई।
साल 2017-18 में दुर्घटनाओं की संख्या घटकर 73 हो गई थी।

इस अवधि में सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मान्यताप्राप्त मानक ‘एक्सिडेंट पर मिलियन ट्रेन किलोमीटर’ में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”एक्सिडेंट पर मिलियन ट्रेन किलोमीटर की संख्या में 1981 के 2.20 की तुलना में 2018-19 में घट कर सबसे कम 0.06 रह गई।

यह दर्शाता है कि रेलवे जीरो एक्सिडेंट मोड की तरफ बढ़ने की ओर अग्रसर है।’ अधिकारी ने कहा कि भारतीय रेलवे की तरफ से लगातार अपना जा रहे सुरक्षा मानकों का परिणाम है कि पिछले पांच सालों में यात्रियों की मरने और घायल होने की संख्या में कमी आई है।

आंकड़ों के अनुसार साल 1990 से लेकर 1995 के दौरान प्रति वर्ष औसतन 500 दुर्घटनाएं होती थीं। इनमें 2400 लोगों की मौत और जबकि 4300 लोग घायल होते थे। इसके एक दशक बाद साल 2013 से लेकर 2018 के दौरान प्रति वर्ष होने वाली दुर्घटनाओं की औसत संख्या 110 के करीब आ गई।

जबकि इस दौरान करीब 990 लोगों की जान गई व करीब 1500 लोग घायल हुए। साल 2018-2019 के दौरान 59 रेल दुर्घटना हुई। इन दुर्घटनाओं में 37 लोगों की मौत हुई जबकि 108 लोग घायल हो गए। इससे पहले भारतीय रेलवे ने इस साल जनवरी में रेलवे ने सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए मानवरहित फाटकों को खत्म करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था।

इसमें बस इलाहाबाद संभाग ही अपवाद था। रेलवे ने साल 2018 में 3478 मानवरहित फाटक खत्म किए थे। रेलमंत्री पीयूष गोयल की तरफ से मानवरहित फाटकों को खत्म करने को अपनी प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर रखा था।

मानव रहित रेलवे फाटकों को खत्म करने के बाद से दुर्घटना में भारी कमी देखने को मिली थी। रेलवे ने साल 2009-10 में केवल 930 मानव रहित फाटक खत्म किए थे वहीं 2015-16 में 1253 मानव रहित फाटक खत्म किए गए।