उड़ीसा में यात्रियों से भरी एक ट्रेन बिना इंजन के ट्रैक पर दौड़ पड़ी। बता दें कि यह ट्रेन बिना इंजन के करीब 10 किलोमीटर तक दौड़ती रही, इसके बाद जब रेलवे स्टाफ को इस बात की जानकारी हुई तो किसी तरह ट्रैक पर पत्थर रखकर ट्रेन को रोका गया। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस घटना में किसी यात्री को किसी तरह की चोट नहीं आयी है और सभी यात्री सुरक्षित हैं। बता दें कि यह घटना उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 380 किलोमीटर दूर स्थित तीतलगढ़ रेलवे स्टेशन की है, जहां शनिवार की रात करीब 10 बजे अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस के साथ यह घटना घटी। बताया जा रहा है कि जब ट्रेन से इंजन हटाया जा रहा था, तभी यह ट्रेन की बोगियां ट्रैक पर चलने लगी। दरअसल ट्रेन का इंजन हटाते वक्त स्किड ब्रेक नहीं लगाए गए थे, जिससे इंजन हटते ही ट्रेन ने केसिंगा रेलवे स्टेशन की तरफ चलना शुरु कर दिया।
ट्रेन को चलता देख कुछ लोगों ने चींख-चींखकर ट्रेन की चेन खींचने को कहा, लेकिन ट्रेन में बैठे लोग इससे बेखबर इस पर ध्यान नहीं दे पाए। इस तरह ट्रेन ने बिना इंजन के ही करीब 10 किलोमीटर तक का सफर तय कर लिया। जब रेलवे अधिकारियों को इसका पता चला तो आनन-फानन में ट्रेन को ट्रैक पर पत्थर लगाकर रोका गया। वहीं इस घटना पर रेल अधिकारियों का कहना है कि तीतलगढ़ रेलवे स्टेशन से केसिंगा की तरफ जाते हुए रेलवे ट्रैक थोड़ा ढलान पर है, यही वजह रही कि स्किड ब्रेक ना लगे होने के कारण ट्रेन बिना इंजन के ही चल पड़ी। बताया जा रहा है कि ट्रेन से इंजन हटाकर दूसरा इंजन लगाया जाना था, फिलहाल इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार 2 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। जब किसी तरह ट्रेन को रोका गया तो उसके बाद एक दूसरा इंजन भेजकर ट्रेन में जोड़ा गया और उसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य स्थान की ओर बढ़ी।
#WATCH Coaches of Ahmedabad-Puri express rolling down towards Kesinga side near Titlagarh because skid-brakes were not applied #Odisha (07.04.18) pic.twitter.com/bS5LEiNuUR
— ANI (@ANI) April 8, 2018
फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच समीति गठित की गई है, जो इस मामले की जांच करके उच्च अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट सौंपेंगी। बता दें कि पिछले साल भी इसी तरह की एक घटना चेन्नई-मुंबई ट्रेन के साथ भी घटी थी, तब ट्रेन बिना लोकोपायलट के करीब 13 किलोमीटर तक चली गई थी। दरअसल ट्रेन वाडी स्टेशन से महाराष्ट्र के शोलापुर के लिए जाने वाली थी। तभी किसी तकनीकी खराबी के कारण ट्रेन बिना लोको-पायलट के ही चलने लगी। इस पर ट्रेन के लोको-पायलट ने किसी तरह ट्रेन का पीछा कर उसे रोका, लेकिन तब तक ट्रेन 13 किलोमीटर का सफर कर चुकी थी।

