महंगाई से चौतरफा घिरी जनता से भारतीय रेलवे (Indian Railway) द्वारा भी महंगा किराया वसूला जा रहा है। कोरोना काल में सरकार ने अनावश्यक यात्राओं में कमी लाने का हवाला देते हुए किराये में बढ़ोतरी की थी। सामान्य ट्रेनों को स्पेशल बनाकर एकाएक किराये में इजाफा कर दिया गया और पिछले डेढ़ सालों से स्पेशल का ही किराया भी वसूल भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं मंथली सीजनल टिकट (MST) से भी यात्रा करने पर रोक लगा रखी है, जिसके कारण रोजाना सफर करने वाले यात्रियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
फेस्टिव और स्पेशल ट्रेन: अमूमन देखा जाता है कि सरकार फेस्टिवल व हॉलिडे के समय स्पेशल ट्रेनों का संचालन करती है। इन ट्रेनों के किराये में सामान्य किराये से अंतर होता है। कोविड काल में बड़े पैमाने पर स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया था जोकि अभी तक जारी है। जयपुर के रेलवे स्टेशन को उदाहरण के तौर पर समझते हैं। जयपुर में रोजाना 188 ट्रेनों का आवागमन होता है, इनमें से 28 ट्रेनें बिना त्योहार के फेस्टिव स्पेशल के तौर पर चलाई जा रही हैं।
किराये का खेल: स्पेशल और रेगुलर ट्रेनों के किराये में जो अंतर होता है उसे समझने के लिए उसके फार्मूले को समझना होगा। हॉली-डे और स्पेशल ट्रेनों में मिनिमम और मैक्सिमम किराए को दूरी को आधार मानकर किराया तय होता है, जबकि रेगुलर ट्रेनों में ऐसा नहीं होता है। इन ट्रेनों में कम से कम 100 किमी और ज्यादा से ज्यादा 300 किमी का किराया वसूला जाता है।
आसान भाषा में समझें तो आपको स्पेशल ट्रेनों में 35 किमी की दूरी के लिए भी 100 किमी का किराया देना होगा, अगर आपको 250 किमी जाना है तो आपसे फेयर लिस्ट के हिसाब से 300 किलोमीटर का किराया लिया जाएगा, जबकि रेगुलर ट्रेनों में ऐसा नहीं होता है।
MST का इंतजार हो सकता है खत्म: लोगों की हो रही परेशानियों के मद्देनजर रेलवे जल्द ही एमएसटी योजना को दोबारा शुरू करने की योजना बना रहा है। अधिकारियों ने इसकी एक रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के पास भेज दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में इस योजना को बहाल कर दिया जाएगा।