कोरोना के कहर से मजबूती से उबर रहे सेक्‍टर्स में सरकार का रेलवे अग्रणी है। मार्च 2021 में भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई से 116634.9 करोड़ रुपए की कमाई की, जो मार्च 2020 की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक है। यात्र‍ियों से होने वाली कमाई 2020-21 में सर्वाधिक 61,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में लगाया था। माल ढुलाई से भी सर्वाधिक 147,000 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान लगाया गया है। 2019-20 में माल ढुलाई से 135,000 करोड़ और यात्र‍ियों से 56,000 करोड़ रुपए रेलवे को मिले थे। 2013-14 में यह आंकड़ा क्रमश: 92,000 करोड़ और 37,000 करोड़ रुपए था।

जनवरी, 2021 तक रेलवे ने 1138 मेल/एक्‍सप्रेस ट्रेनें चलाना शुरू कर दिया था। यह कुल ट्रेनों का करीब 65 फीसदी है। कोरोनाकाल से पहले रेलवे रोज 1768 मेल/एक्‍सप्रेस ट्रेनें चलाया करती थी। सबअर्बन ट्रेन सर्वि‍सेज की बात करें तो जनवरी, 2021 तक रेलवे ने 4807 ट्रेनें चलानी शुरू कर दी थी, जबकि कोविड से पहले के दौर में रोज ऐसी 5881 ट्रेनें चला करती थीं!

इनके अलावा जनवरी तक 196 पैसेंजर ट्रेनें भी चलाई जाने लगी थीं, जबकि कोरोना आने से पहले रोज 3634 पैसेंजर ट्रेनें चला करती थीं। इस बीच होली स्‍पेशल और कुंभ स्‍पेशल आदि के नाम पर भी दर्जनों ट्रेनें चलाई गई हैं।

खास बात यह है कि 25 मार्च, 2020 को हुए लॉकडाउन में ढिलाई के बाद से अब तक रेलवे ने जो भी ट्रेनें चलाई हैं, उन सभी को स्‍पेशल ट्रेनों का दर्जा दिया गया है। इसके नाम पर किराया ज्‍यादा (कई रूट पर पांच गुना तक) वसूला जा रहा है और सुविधाएं कम कर दी गई हैं।

ज्‍यादा किराया देने के बावजूद रेल यात्र‍ियों को बेड/कंबल, पैंट्री, रिटायरिंग रूम जैसी सुविधाएं तो नहीं ही मिल रही हैं, बोगियों को सैनिटाइज करने, जरूरी शारीरिक दूरी बनाए रखने जैसे कोविड के मद्देनजर बुनियादी इंतजाम तक नहीं किए जा रहे। ट्रेनों में पहले की तरह सभी सीटों की बुकिंग की जा रही है। स्‍टेशनों पर मौजूद रिटायरिंग रूम खोलने या नहीं खोलने का फैसला जोनल स्‍तर पर अधिकारियों के जिम्मे छोड़ा गया है।

ट्रेनों में पैंट्री सेवा बंद है। लेकिन, आईआरसीटीसी को वेंडर्स के ज‍र‍िए ट्रेनों में खाने-पीने का सामान बेचेने की इजाजत दी गई है। अक्‍सर यात्री खाने की खराब गुणवत्‍ता और ज्‍यादा कीमत की शिकायत करते रहते हैं।

सरकार द्वारा जनसत्‍ता.कॉम को उपलब्‍ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक मार्च, 2021 तक केवल 202 स्‍टेशनों पर ई-कैटरिंग सेवा शुरू की गई है। देश में कुल स्‍टेशनों की संख्‍या 7000 से ज्‍यादा है। जिन स्‍टेशनों पर अभी ई-कैटरिंग सेवा शुरू की गई है, उनकी लिस्ट ये है-

ऑनलाइन टिकट बुकिंग वेबसाइट आईआरसीटीसी से भी रेलवे ने अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान करीब 15,000 करोड़ रुपए का राजस्‍व हासिल किया है। देखिए पीआईबी द्वारा जारी साल-दर-साल का आंकड़ा-

इस बीच रेलवे ने अलग-अलग तरीके से जनता की जेबें काटी है। स्‍पेशल ट्रेन के नाम पर किराया बढ़ा कर, कोरोना के नाम पर सुविधाएं घटा कर और भीड़ रोकने के नाम पर प्‍लेटफॉर्म टिकट की कीमत 50 रुपए तक करके। लेकिन, इन सबके बावजूद रेलवे ट्रेनों में भीड़ रोकने में नाकाम रहा है।

ज्‍यादा किराया देने के बावजूद बोगियों को सैनिटाइज करने, जरूरी शारीरिक दूरी बनाए रखने जैसे कोविड के मद्देनजर बुनियादी इंतजाम तक नहीं किए जा रहे। (फोटो- PTI)

रेलवे का कहना है कि उसने कोरोना के रूप में आई आपदा को अवसर में बदला है। हालांकि, उसने यह बात अपनी उपलब्‍धि‍यां गिनाने के संदर्भ में कही है, लेकिन शायद जनता से कमाई करने के मामले में भी यह बात सटीक बैठती है।