रेल मंत्रालय ने देश की लग्जरी ट्रेंनों का किराया लगभग आधा कम करने का फैसला किया गया है। भारत की प्रीमियम लग्जरी ट्रेनों में महाराजा एक्सप्रेस, पैलेस ऑन व्हीलस, गोल्डन चैरियट, डक्कन ओडिशी और रॉयल ऑरिएंट शामिल है। द पॉयनियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन ट्रेनों में विदेशी टूरिस्टों की संख्या घटने के बाद रेल मंत्रालय ने यह फैसला किया है। इन ट्रेनों में पीक सीजन में एक रात का किराया लगभग 52 हजार रुपये का होता है, जबकि सामान्य दिनों में इन ट्रेनों का किराया 32 हजार तक होता है। लग्जरी ट्रेनों का किराया कम करने का फैसला रेल मंत्रालय के द्वारा ढुलाई चार्ज (haulage charges) कम करने के बाद लिया गया है। इस शुल्क का वहन राज्य पर्यटन विभाग, ट्रेस से संबंध स्टेक होल्डर जैसे कि IRCTC जैसी कंपनियां करती हैं। ये कंपनिया भारतीय रेलवे के साथ तालमेल कर इन ट्रेनों का संचालन करती हैं।
यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी जिन्होंने अबतक लग्जरी सैलून, इंस्पेक्शन कोचेज के बारे में सुन ही रखा अब वे भी इसे किराये पर ले सकेंगे। इन ट्रेनों का इस्तेमाल अबतक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रेल के वरिष्ठ अधिकारी ही करते आए हैं। इन ट्रेनों में दो बेडरूम, लाउंज, किचन और टॉयलेट बना होता है। बता दें कि हाल के दिनों में विदेशियों के बीच लग्जरी ट्रेनों का आकर्षण कम हुआ है।
इसके अलावा रेलवे ने यात्रियों के जेब पर असर डालने वाले फ्लेक्सी फेयर सिस्टम में भी बदलाव के संकेत दिये हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने प्रीमियम रेलगाड़ियों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम में बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि इसमें कुछ सुधार होगा जिससे यात्रियों और रेलवे दोनों को फायदा होगा। लोहानी ने कहा कि फ्लेक्सी किराया ढांचा एयरलाइन जैसे प्रतिद्वंद्वी परिवहन क्षेत्र में तो काम करता है जहां निजी ऑपरेटर यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रतिद्वंद्विता करते हैं। रेल बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि लेकिन जब रेलगाड़ियों की बात आती है तो रेलवे एकमात्र यात्री परिवहन सेवा संचालक है और फ्लेक्सी फेयर प्रणाली यात्रियों के लिए उचित नहीं होगा। लोहानी ने कहा, ‘‘कुछ क्षेत्रों में कुछ सुधार होगा जो यात्रियों और रेलवे दोनों के लिए लाभदायक होगा।’’

