देश में सीबीआई में जारी हंगामे से पूरा देश वाकिफ हो चुका है। जहां सीबीआई के शीर्ष नेतृत्व ने ही एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। अब देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेलवे भी ऐसे ही कुछ खींचतान से दो चार हो रही है। दरअसल भारतीय रेलवे ट्रैफिक सेवा (IRTS) और भारतीय रेलवे सर्विस ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (IRSEE) का आरोप है कि भारतीय रेल सेवाओं के सभी महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (IRSME) के अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है, जबकि वह इन पदों के लिए क्वालिफाइड भी नहीं हैं। बता दें कि रेलवे बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन अश्विनी लोहानी भी IRSME कैडर के अधिकारी हैं।
IRTS और IRSEE अधिकारियों ने पीएमओ को मार्क करते हुए रेल मंत्रालय को एक पत्र लिखा है। जिसमें IRTS कैडर के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें हाउसकीपिंग, पर्यावरण और ऑन बोर्ड सेवाओं से दरकिनार कर दिया गया है और इनकी जिम्मेदारी मैकेनिकल विभाग को दे दी गई है। पत्र में IRTS विभाग के अधिकारियों ने लिखा है कि मैकेनिकल विभाग अपनी सामान्य जिम्मेदारियां निभाने में भी बुरी तरह से फेल हुआ है। विभाग की कोई मॉनिटरिंग एजेंसी भी नहीं है, जो स्टेशन और ट्रेन में उनके कामों की जांच की देखरेख कर सके। IRSEE अधिकारियों का आरोप है कि मैकेनिकल विभाग ने रेलवे के शीर्ष पदों पर कब्जा कर लिया है।
इकॉनोमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, IRSEE के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स ने नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन, जो कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा है, उसमें मैकेनिकल इंजीनियर्स की नियुक्ति पर भी आपत्ति जतायी है। उल्लेखनीय है कि मैकेनिकल इंजीनियर्स का विभाग IRSME रेलवे की महत्वपूर्ण डिवीजन मानी जाती है। रेलवे के स्टीम और डीजल लोकोमोटिव्स का इंचार्ज भी इसी डिविजन के पास है। 10 कैडर के साथ IRSME रेलवे की सबसे बड़ी ग्रुप ए सेवाएं हैं। रेलवे में IRSME को ज्यादा अहमियत दी जाती है, क्योंकि इन पदों पर चयन अप्रेंटिश के तौर पर यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा एक लिखित परीक्षा के माध्यम से होता है। हालांकि साल 2015 में इस परीक्षा पर रोक लगाते हुए इसे इंजीनियर सर्विस एग्जाम से रिप्लेश कर दिया गया था। लेकिन रेलवे एक बार फिर अप्रेंटिश परीक्षा का आयोजन शुरु करने पर विचार कर रहा है।

