भारतीय रेलवे ने एशियाई शेरों की मौत को रोकने के उद्देश्य से गिर फॉरेस्ट (Gir forest) और उससे सटे आसपास के एरिया में दस ट्रेनों का शेड्यूल बदल दिया है। इसके अलावा रेलवे ने रात के समय में कई ट्रेनों का संचालन भी रोकने का फैसला किया है। भारतीय रेलने ने यह फैसला गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्देश के बाद लिया है, जिसमें उन्होंने ट्रेनों से शेरों के टकराने की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया था।

जिन ट्रेनों के टाइम में बदलाव किया गया है, उनमें वेरावल – देलवाड़ा, देलवाड़ा – जूनागढ़, अमरेली और वेरावल, अमरेली और जूनागढ़ और वेरावल – अमरेली के बीच चलने वाली ट्रेनें शामिल हैं। वेस्टर्न रेलवे ने प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ये ट्रेनें गुजरात के अमरेली, जूनागढ़ और गिर सोमनाथ जिलों को कनेक्ट करती हैं।

वेस्टर्न रेलवे ने प्रेस रिलीज में कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश अनुसार, एशियाई शेरों की सुरक्षा तय करने के लिए कासिया नेस – सासन और जूनागढ़ – बिल्खा सेक्शन (Kasiya Ness-Sasan and Junagadh-Bilkha) पर रात के समय में ट्रेनों का संचालन नहीं किया जाएगा।

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प्रेस रिलीज में बताया गया है कि फिलहाल ट्रेन नंबर 9531 देलवाड़ा – जूनागढ़ और ट्रेन नंबर 9540 जूनागढ़ – अमरेली क्रमशः 20.20 बजे और 20.30 बजे अपने अंतिम स्टेशन पर पहुंचती हैं। भावनगर डिविजन में चल रही मीटर-गेज ट्रैक पर चल रही दस ट्रेनों का टाइम बदलने का फैसला लिया गया है।

गिर के जंगलों में है एशियाई शेरों की अच्छी संख्या

गिर के जंगलों में एशियाई शेरों की अच्छी खासी जनसंख्या है। इसके अलावा एशियाई शेर गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के जूनागढ़, अमरेली, गिर सोमनाथ, भावनगर जिलों में भी फैले हुए हैं। हालांकि जैसे-जैसे एशियाई शेरों की जनसंख्या बढ़ रही है, ये अपने इलाके का भी विस्तार कर रहे हैं और इस वजह से यह कई बार रेलवे ट्रैक्स के पास आ जाते हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक दशक में करीब एक दर्जन शेर ट्रेन से टकराने की वजह से प्राण गंवा चुके हैं। जुलाई 21, 2023 और जनवरी 22, 2024 के बीच गिर पूर्व में अमरेली जिले और शेत्रुंजी वन्यजीव डिविजन में कम से कम सात शेरों की ट्रैक पर मौत हो चुकी है।

बात अगर हाल की करें तो इस साल 24 जुलाई को अमरेली जिले में एक शेर की मौत रेल लाइन पर हुई थी। शेरों की मौत की घटनाओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने रेलवे और गुजरात वन विभाग को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश लेने के कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद तत्काल उपाय के रूप में रेलवे ने इस साल अप्रैल महीने में पीपावाव-सुरेन्द्रनगर रेल लाइन पर शेरों की मूवमेंट वाले सात हॉटस्पॉट्स पर रात के समय में ट्रेनों की स्पीड चालीस किलोमीटर प्रति घंटा तक करने पर सहमति दी थी। अधिकारियों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में लोको पायलट्स ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर और ट्रैक के आसपास मूवमेंट देखकर ट्रेन रोकर 65 एशियाई शेरों को बचाया है।