लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली भारतीय मूल की शिक्षाविद और लेखिका निताशा कौल ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने के कारण उनका OCI स्टेटस कैंसिल कर दिया गया। नताशा रविवार को कहा कि सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी और लोकतंत्र विरोधी नीतियों पर उनके काम के कारण उनकी ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) रद्द कर दी गई है।
एक्स पर सरकार की ओर से आधिकारिक पत्र का एक स्नैपशॉट साझा करते हुए निताशा ने कहा, “#TNR (अंतरराष्ट्रीय दमन) का एक दुर्भावनापूर्ण, प्रतिशोधी, क्रूर उदाहरण; मुझे मोदी शासन की अल्पसंख्यक-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी नीतियों पर काम करने के लिए दंडित कर रहा है।” उन्होंने जो तस्वीर साझा की, उससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार ने उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया है, जो दुर्भावना से प्रेरित है और तथ्यों या इतिहास की पूरी तरह से उपेक्षा करता है।”
दस्तावेज़ में कथित तौर पर कहा गया है, “विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आपके कई विरोधी लेखों, भाषणों और पत्रकारिता गतिविधियों के माध्यम से, आप नियमित रूप से भारत और उसके संस्थानों को भारत की संप्रभुता के मामलों पर निशाना बनाती हैं।”
फरवरी 2024 में निताशा कौल को भारत में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था
पिछले साल फरवरी में, कर्नाटक सरकार के निमंत्रण पर एक कार्यक्रम में ‘लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों’ के बारे में बोलने के लिए निताशा कौल को भारत में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था । उसके बाद उन्होंने दावा किया कि 24 घंटे तक सीधे सीसीटीवी के सामने, लेटने के लिए एक पतली जगह और भोजन और पानी के बिना हिरासत में रखने के बाद लंदन भेज दिया गया था। नताशा को 24-25 फरवरी, 2024 को बेंगलुरु में “भारत का संविधान और एकता” नामक एक सम्मेलन में बोलना था।
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कौन हैं ब्रिटिश-भारतीय प्रोफेसर निताशा कौल?
गोरखपुर में जन्मी ब्रिटिश-भारतीय प्रोफेसर निताशा कौल वेस्टमिंस्टर स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेमोक्रेसी (CSD) की निदेशक हैं। उनके एक्स प्रोफाइल से जुड़े सीवी के अनुसार, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के एसआरसीसी से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स , पब्लिक पॉलिसी में विशेषज्ञता के साथ अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और यूके के हल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में संयुक्त पीएचडी की है।
कौल ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें रेसिड्यू, फ्यूचर टेंस और इमेजिनिंग इकोनॉमिक्स अदरवाइज शामिल हैं। रेसिड्यू और फ्यूचर टेंस दोनों ही कश्मीर में पहचान, आघात और विस्थापन के विषयों से संबंधित हैं। उनका पहला उपन्यास रेसिड्यू, एशिया से 5 कृतियों में से एक था जिसे 2009 के मैन एशियन लिटरेरी पुरस्कार के लिए चुना गया था। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स