रडार से बच निकलने में सक्षम पहली स्वदेश निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी कलवरी रविवार को समुद्री परीक्षण के लिए मुंबई हार्बर से रवाना हुई है। वहीं इसके लिए भारी वजन वाले टॉरपीडो को खरीदने की योजना वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के घोटाले के कारण अटक गयी है। कलवरी भारत की उन छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में पहली है जिनका निर्माण परियोजना 75 के तहत किया जा रहा है। इस परियोजना में काफी देरी हुई है। मझगांव डॉक लिमिटेड :एमडीएल: फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस के सहयोग से पनडुब्बियों का निर्माण कर रही है।

अक्तूबर 2015 में कलवरी को समुद्र में उतारा गया था। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि कलवरी का समुद्री परीक्षण रविवार को शुरू हो गया है। यह हम सब के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। हालांकि पनडुब्बी के लिहाज से भारी वजन वाले टॉरपीडो खरीदने की योजना रक्षा मंत्रालय में अटकी है। नौसेना भी राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों का हवाला देते हुए इसके लिए जोर दे रही है।  फिनमेक्कानिका की एक कंपनी ‘डब्ल्यूएएसएस इटली’ परियोजना 75 की पनडुब्बियों के लिए टॉरपीडो की खरीद में सफल बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर सामने आई थी।

बाद में समूह की वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में कथित संलिप्तता के चलते जुलाई 2014 में खरीद पर रोक लगा दी गयी। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर के धवन ने भारी वजन वाले टॉरपीडो हासिल करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा था कि रक्षा मंत्रालय इस पर अंतिम निर्णय लेगा। भारत स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली छह पनडुब्बियां नौसेना को मिलने के बाद ऐसी दो और पनडुब्बियों को प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।