सरोगेसी तकनीक का व्यावसायिक इस्तेमाल ज्यादातर विकसित देशों जैसे आॅस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, न्यूजीलैंड, जापान और थाईलैंड में प्रतिबंधित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर किए गए सरोगेसी विधेयक के जरिए अब इसे देश में भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि यह विधेयक गैर-व्यावसायिक सरोगेसी को मंजूरी देता है, जहां कोई नजदीकी रिश्तेदार बगैर पैसे लिए और बिना किसी जोर-जबर्दस्ती के किसी रिश्तेदार के लिए बच्चा पैदा कर सकता है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने इस विधेयक पर कुछ सवाल उठाए हैं। उसका कहना है कि इस प्रस्तावित कानून के तहत वे जोड़े जिनकी शादी को पांच साल हो चुके हैं और जिन्हें बच्चा नहीं हो सकता, वे सरोगेसी अपना सकते हैं, लेकिन जिनके पास पहले से बच्चा है वे इसे नहीं अपना सकते।
आइएमए के अध्यक्ष डॉ एसएमएस अग्रवाल और मानद महासचिव डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि आइएमए इस विधेयक का स्वागत करता है, लेकिन इससे जुड़े कई सवाल अहम हैं। इसमें दलाल या एजंटों की कोई भूमिका नहीं होगी और लापरवाही के मामले में प्रमाण देने की सारी जिम्मेदारी क्लीनिक की होगी न कि सेरोगेट या अंडा दानकर्ता की। उन्होंने कहा कि यह कानून इस बात पर जोर देता है कि सरोगेट मां बांझ जोड़े की नजदीकी रिश्तेदार होनी चाहिए। यह अव्यावहारिक होगा और इससे सरोगेसी इंडस्ट्री पैदा होने का खतरा है। लोग नजदीकी रिश्तेदार का नकली दस्तावेज बनाने लगेंगे। उन्होंने बताया कि दुनिया में पांच करोड़ बांझ जोड़े हैं और अपना बच्चा होने की चाहत ने ही व्यावसायिक सरोगेसी को बढ़ावा दिया है। हजारों बांझ जोड़े किराए की कोख लेते हैं ताकि वे अपने घर बच्चा ले जा सकें। भारत में डेढ़ करोड़ बांझ जोड़े हैं।
स्पर्म और ओवा बैंकिंग, एम्ब्रयू इम्प्लांटेशन और किराए की कोख की सेवाओं का बड़ा बाजार है। चर्चित हस्तियां भी कोख किराए पर लेती हैं। व्यावसायिक सेरोगेसी बंद होने से अनेक बांझ जोड़ों की उम्मीद टूट जाएगी। बांझ जोड़े आमतौर पर इनविट्रो फर्टिलाइजेशन या थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन की बात अपने नजदीकी रिश्तेदारों से नहीं करते। इसे राज ही रखा जाता है, तो फिर नज़दीकी रिश्तेदारों से कोख किराए पर कैसे ली जाएगी। परिवार के अंदर से ही सरोगेट मां ढूंढ़ना आसान नहीं होगा और इससे कई बांझ जोड़े दुखी हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिनका पहले से ही अपना बच्चा है या गोद लिया है, उन्हें सरोगेसी की इजाजत नहीं मिलेगी, लेकिन भारत में एक बच्चे का रिवाज नहीं है। एनआरआइ और ओआइसी पर पाबंदी क्यों? नेशनल सरोगेसी बोर्ड स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में बनाया जाएगा। तीन महिला सांसद इसकी सदस्य होंगी और दो सांसद लोकसभा से होंगे। बोर्ड में सभी महिलाएं ही क्यों?

