भारत और चीन के बीच पिछले चार महीने से जारी तनाव जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा। इस बीच मोदी सरकार ने सेना के लिए दो फैल्कन AWACS एयरबोर्न वॉर्निग सिस्टम खरीदने की मंजूरी दे दी है। अब जल्द ही इजराइल से यह आधुनिक सिस्टम 1 अरब डॉलर (करीब 14 हजार करोड़ रुपए) में खरीदे जा सकेंगे। बता दें कि भारत के पास पहले ही तीन फैल्कन अवाक्स 360 डिग्री सिस्टम मौजूद हैं। इन्हें एयरक्राफ्ट्स के ऊपर लगाया गया है। इसके अलावा डीआरडीओ ने भी ऐसे दो अवाक्स सिस्टम बनाए हैं, जिनका क्षेत्र 240 डिग्री तक है।
गौरतलब है कि अवाक्स सिस्टम विमानों के ऊपर लगे रडार होते हैं, जिनसे एयर डिफेंस को मजबूती मिलती है और आसमान में दुश्मन देश की हवाई गतिविधियों की जानकारी भी मिलती है। बताया गया है कि भारतीय वायुसेना को अतिरिक्त अवाक्स सिस्टम की जरूरत पहली बार पिछले साल फरवरी में महसूस हुई थी, जब बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी विमान अचानक ही भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे। तब पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र में स्वीडिश अवाक्स सिस्टम को चालू रखा था, जिससे उसके हवाई क्षेत्र में जाने वाला मिग-29 डिटेक्ट हो गया था। जबकि भारत में ऐसे सिस्टम की तैनाती नहीं की गई थी।
भारत को इजराइल से मिलने वाले इन रडार के लिए 7 हजार करोड़ रुपए के करीब खर्च करने पड़ेंगे। इसके अलावा इन्हें इंस्टाल करने के लिए प्लेटफॉर्म की भी जरूरत पड़ेगी। भारत इसके लिए रूस के ए-50 एयरक्राफ्ट को लेगा। इसके बाद रडार और प्लेटफॉर्म को इजराइल में ही साथ जोड़ा जाएगा। माना जा रहा है कि पूरे सिस्टम की डिलीवरी में दो से तीन साल का वक्त लग सकता है।
गौरतलब है कि जहां चीनी सेनाएं अभी भी लद्दाख स्थित एलएसी के करीब कई अहम ठिकानों पर जमा हैं, वहीं भारत ने भी चीन का सामना करने के लिए बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं। माना जा रहा है कि यह आमना-सामना खत्म होने में सर्दियां आने तक का समय लग सकता है। ऐसे में भारतीय वायुसेना चीन की तरफ से किसी भी आक्रामक गतिविधि पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त अवाक्स की जरूरत महसूस कर रहू है।
अवाक्स सिस्टम के साथ-साथ भारतीय सेना 200 ड्रोन्स के अधिग्रहण की भी तैयारी कर रही है, ताकि किसी भी आक्रामक हरकत का तुरंत जवाब दिया जा सके। बताया गया है कि इन ड्रोन्स को डीआरडीओ ने दूसरी संस्थाओं के साथ मिलकर बनाया है और फिलहाल इनका ट्रायल जारी है।