भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के रूप में प्रमोट किया गया है। असीम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत होने वाले सेना के अधिकारी बन गए हैं। वहीं भारत की बात करें तो भारतीय सेना अब तक केवल दो अधिकारियों को फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत किया गया है।

आइए जानते हैं कि भारतीय सेना में फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत होने वाले सैम मानेकशॉ और कोडंडेरा एम. करियप्पा की कहानी, जिनको 5 स्टार से नवाजा जा चुका है…

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया था

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में भारतीय सेना का असाधारण नेतृत्व करने वाले सैम मानेकशॉ की महत्वपूर्ण भूमिका की वजह से भारत को जीत मिली और पाकिस्तान दो हिस्सों में विभाजित हो गया। भारत की इस जीत से न केवल पाकिस्तान कमजोर हुआ बल्कि उसके दो हिस्से हुए पाकिस्तान और बांग्लादेश। सैम मानेकशॉ को युद्ध पश्चात प्रमोट करते हुए भारतीय सेना का पहला फील्ड मार्शल बनाया गया और कंधे पर पांच सितारा लगाया गया।

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‘सैम बहादुर’ के नाम से देश भर में सैम मानेकशॉ को जाना जाता है। इनका जन्म 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में हुआ था। सैम मानेकशॉ ने 1986 में नागालैंड और मिजोरम में हो रहे विद्रोह को शांत कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसके बाद भारत सरकार द्वारा उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

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भारत को आजाद हुए कुछ ही समय हुआ था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। उस समय भारतीय सीमा के पश्चिमी छोर पर सेना का नेतृत्व कर रहे थे के एम करिअप्पा। करिअप्पा आजाद भारत में 15 जनवरी को भारतीय सेना का प्रमुख बनाया गया था। जिसके पहले तक इस पद पर किसी अंग्रेज अधिकारी की नियुक्ति होती थी। ऐसे में 15 जनवरी को पहली बार किसी भारतीय के हाथ में सेना की कमान आई और करिअप्पा ने भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ के रूप पदभार ग्रहण किया। इसी वजह से 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।

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साल 1953 में सेना से रिटायर होने के बाद के एम करिअप्पा भारत सरकार की ओर से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राजदूत बनाए गए। जहां उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर वहां की फौजों का पुनर्गठन करने में मदद की। जिसके बाद उन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर, मेंशन इन डिस्पैच और लीजियन ऑफ मेरिट जैसी अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया। भारत सरकार ने साल 1986 में करिअप्पा को फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत किया। जिसके बाद उनके कंधे पर पांच सितारा लगाया गया।

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेना प्रमुख जनरल अयूब खान आजादी के पहले भारतीय सेना का हिस्सा थे। भारतीय सेना में रहते हुए वो जनरल करिअप्पा के जूनियर के रूप में काम किया था। 1965 के भारत पाक युद्ध के समय अयूब खान राष्ट्रपति थे। उस समय जनरल करिअप्पा के बेटे केसी नंदा करिअप्पा ने भारतीय वायुसेना में सेवा देते हुए पाकिस्तान पर कहर बरपाया था।