पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक (रिटायर्ड) ने शुक्रवार को दावा किया कि दो दशक पहले हुए कारगिल युद्ध के दौरान जब हमें जरूरत थी, तब कई देशों ने भारत से सैटेलाइट इमेजेज, हथियारों और गोला-बारूद के लिए मनमाने पैसे वसूले थे। जनरल मलिक ने मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन ‘मेक इन इंडिया एंड द नेशन्स सिक्योरिटी’ मुद्दे पर बोलते हुए उक्त खुलासा किया।

जनरल मलिक ने कहा कि “कारगिल युद्ध के दौरान, चाहे वो कोई भी देश हो, उसने हमारा उतना शोषण किया, जितना वो कर सकते थे। जब हमने एक देश से बंदूकें लेने के लिए संपर्क किया, क्योंकि इस देश ने पहले हमसे इसका वादा किया था, लेकिन बाद में उस देश ने हमें पुराने हथियार भेज दिए। जब हमने दूसरे देश के हथियार मांगे तो हमारे पास हथियारों की कमी थी, लेकिन हमें 1970 के पुराने हथियार दे दिए गए।”

बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान जनरल वीपी मलिक (रिटायर्ड) आर्मी चीफ थे। उन्होंने बताया कि उस वक्त हर एक सैटेलाइट इमेजेज के लिए 36 हजार रुपए देने पड़े थे, जबकि वह इमेज भी लेटेस्ट नहीं थी और तीन साल पुरानी थीं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, वीपी मलिक ने कहा कि भारतीय सेना विदेश से हथियार मंगाने की इसलिए इच्छुक रहती है क्योंकि हमारा पब्लिक सेक्टर हमारी जरूरत के हिसाब से हथियार नहीं बना पाता है,जिसके चलते हमें विदेशों का रुख करना पड़ता है।

जनरल मलिक ने चेताते हुए कहा कि जब तक हम डिफेंस के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो जाते, हमारे सुरक्षा बलों के लिए खतरा बना रहेगा। पूर्व आर्मी चीफ ने डिफेंस सेक्टर में निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करने का समर्थन किया, ताकि इस क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू हो सके।

जनरल मलिक ने कहा कि “आज तकनीक तेजी से बदल रही है। हमारे सिस्टम की समस्या ये है कि जब कोई इक्विपमेंट किसी खास समय में चाहिए तो उसकी सप्लाई में देर हो जाती है और जब तक वह सेना को मिलता है, तब तक वह तकनीक पुरानी हो चुकी होती है।” रिटायर्ड जनरल वीपी मलिक ने हथियारों की खरीद की प्रक्रिया और इसमें लगने वाले समय पर भी चिंता जाहिर की।