बेजिंग में शुरू होने जा रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन या समापन-किसी भी आधिकारिक समारोह में भारतीय राजदूत हिस्सा नहीं लेंगे। भारत ने इस आयोजन के बहिष्कार की घोषणा उन खबरों के आधार पर की है, जिनमें बताया गया था कि चीन ने खेलों की मशाल दौड़ में अपने उस सैन्यकर्मी को मशाल सौंपी, जो 15 जून 2020 में हुए गलवान घाटी के संघर्ष में शामिल था। क्वी फाबाओ नामक यह सैन्यकर्मी गलवान संघर्ष में चीनी फौज का कमांडर था। भारत के अलावा अमेरिका समेत कई देशों ने इन खेलों के राजनयिक बहिष्कार का फैसला लिया है। इस बीच, प्रसार भारत की सीईओ शशि शेखर वेमपति ने ट्वीट में कहा है कि दूरदर्शन का डीडी स्पोर्ट्स भी बेजिंग खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह का प्रसारण नहीं करेगा।
चीन के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए विदेश मंत्रालय ने खेलों के राजनयिक बहिष्कार का एलान किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘यह अफसोस की बात है कि चीन शीतकालीन ओलंपिक खेलों के बहाने सियासत कर रहा है। बेजिंग में हमारे चार्ज डी’ अफेयर्स (कार्यवाहक राजदूत) इन खेलों के उद्घाटन या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे।’ 15 जून 2020 को गलवान घाटी में संघर्ष के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ गया। सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। पिछले वर्ष फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि उसके पांच सैन्य अधिकारी एवं जवान शहीद हुए थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सैन्य कमांडर को इस तरह से सम्मानित करने के चीन के कदम को अफसोसनाक करार दिया। बागची ने कहा कि बेजिंग में भारतीय दूतावास के प्रभारी शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में शामिल नहीं होंगे। पीएलए के गलवान घाटी के कमांडर को शीतकालीन ओलंपिक मशाल देकर चीन लारा सम्मानित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर रिपोर्ट देखी है। यह अफसोस की बात है कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण करना चुना।’
चीन ने जिस की फाबाओ को मशाल वाहक बनाया है, वह चीन की सेना में रेजिमेंट कमांडर है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान वह गंभीर तौर पर जख्मी हो गया था और उसे भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था। बाद में उसे चीन को सौंप दिया गया था। दिसंबर में उसने चीन के सरकारी टीवी चैनल (सीसीटीवी) को एक प्रायोजित इंटरव्यू दिया था। चीन ने उसे वीरता पुरस्कार भी दिया था। टीवी कार्यक्रम में फाबाओ के साथ चार और सैनिक भी शामिल हुए थे।
पांच मई 2020 में हुए गलवान संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। अमेरिका समेत दुनिया के कई मीडिया समूहों ने बताया था कि गलवान घाटी में चीन के 40 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, जिनपिंग सरकार ने कभी चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मारे गए सैनिकों की सही संख्या नहीं बताई। अमेरिकी खुफिया एजंसी ने सबसे पहले खुलासा किया था कि संघर्ष में चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। जब यह रिपोर्ट जारी हुई, तब चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में माना था कि उसे भी नुकसान हुआ है।