India-Pakistan Ceasefire News: भारत की तरफ से पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए गए थे। यह सब कुछ अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की तरफ से पीएम मोदी को 9 मई की रात को फोन करने और खतरनाक खुफिया जानकारी के बारे में जानकारी शेयर करने के बाद हुआ था। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने वेंस से कहा कि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का भारत की प्रतिक्रिया सख्त गहरी और बड़ी होगी।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा। 9 मई की रात से लेकर 10 मई की सुबह तक पाकिस्तान ने 26 जगहों पर हमला किया, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया। जवाबी कार्रवाई करते हुए इंडियन आर्मी ने आठ जगहों पर पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया। लड़ाकू विमानों से हवा में दागे गए सटीक हथियारों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन को टारगेट किया और हथियारों से पसरूर और सियालकोट एविएशन बेस के रडार साइट्स को भी निशाना बनाया।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह नरक की आग थी। उन्होंने कहा कि रहीम यार खान में पीएएफ बेस का रनवे तबाह हो गया और रावलपिंडी के चकलाला में नूर खान एयर बेस को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है। सूत्रों ने बताया कि 10 मई को यही से अहम मोड़ आया। इसके बाद पाकिस्तान ने अमेरिका से संपर्क किया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और अमेरिकी विदेश मंत्री व एनएसए मार्को रुबियो के बीच बातचीत हुई। इसमें उन्होंने भारत के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई।
रुबियो ने जयशंकर से बात की
रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की। उन्होंने कहा कि भारत बातचीत करने को इच्छुक है और यह बात पहले भी बता दी गई थी। पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने 10 मई को दोपहर 1 बजे के आसपास भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क किया और दोपहर 3.30 बजे बातचीत तय हुई। और उन्होंने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया।
सरकार की सोच यह थी कि पाकिस्तान की हरकतों की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी होगी। इसके कारण उसे सीमा पार आतंकवादी कार्रवाई करनी पड़ी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करना बेहद खास था। सैन्य मोर्चे पर भारत के पास 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक से एक रणनीति थी। सूत्रों ने बताया कि लागत लगाने की सोच भी वही थी, लेकिन सरकार वही चालें नहीं चलना चाहती थी।
भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्री को दिया था क्लियर मैसेज
नई दिल्ली ने खींची रेड लाइन
नई दिल्ली की तरफ से खींची गई रेड लाइन के बारे में सूत्रों ने बताया कि मैसेज साफ था कि हम आपको मारेंगे और हम आपको आपके हेडक्वार्टर में मारेंगे, कुछ कैंपों में नहीं। सूत्रों ने कहा कि इस रणनीतिक के पीछे भी दो तत्व थे। पाकिस्तान पर लागत बढ़ाना और यह कि कोई भी जगह आतंकियों के लिए सेफ नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने आतंकवादियों पर हमला करने के अपने इरादे को साफ कर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल तक, सभी ने 22 अप्रैल से 7 मई के बीच फोन पर बातचीत में अपने समकक्षों को इस बात के संकेत दिए थे।
7 मई को रात 1 बजे से 1.30 बजे के बीच इंडियन आर्मी की तरफ से 9 आतंकी ठिकानों पर हमला करने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल घई ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को फोन किया और उन्हें बताया कि भारत ने सावधानीपूर्वक चुने गए आतंकी ठिकानों पर हमला किया है और उन्होंने सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया है और आखिर में एक मैसेज में भेजा गया है कि अगर पाकिस्तान बातचीत करना चाहता है, तो भारत बातचीत करने को तैयार है।
दुनिया के नेताओं को क्लियर मैसेज
भारतीय नेताओं को फोन करने वाले पूरी दुनिया के नेताओं के लिए मैसेज सीधा था कि अगर वे हम पर गोली चलाते हैं, तो हम उन पर गोली चलाएंगे। अगर वे रुकते हैं, तो हम रुकेंगे। यह बात मोदी, जयशंकर और डोभाल से बात करने वाले सभी विदेशी नेताओं और मंत्रियों को दोहराई गई। अगले तीन दिनों में पाकिस्तान ने 8, 9 और फिर 10 मई को ड्रोन और मिसाइलों के जरिये भारत पर हमला किया और ये कोशिशें ज्यादातर नाकाम रहीं। 7 और 9 मई के बीच हमले 8-10 जगहों पर हुए, लेकिन पाकिस्तानियों ने इसे बढ़ा दिया और 10 मई को हमला किया। उन्होंने सिरसा को निशाना बनाया।
भारत की कार्रवाई काफी जबरदस्त
भारत की तरफ से की गई जवाबी कार्रवाई भी काफी जबरदस्त थी। तभी पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए अमेरिकियों से मदद मांगी। इसलिए, जब रुबियो ने उनसे बात की, तो जयशंकर ने कहा कि भारतीय डीजीएमओ ने पहले दिन ही पाकिस्तानी पक्ष को यह प्रस्ताव दिया था। अब एकमात्र बातचीत का जरिया डीजीएमओ की हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी कम्युनिकेशन चैनल नहीं है।
वाशिंगटन को नहीं दी गई ज्यादा तवज्जो
दिल्ली ने कहा कि आखिरी दिन अमेरिका की भागीदारी पाकिस्तान के कहने पर हुई थी और ट्रंप को पाकिस्तान के वार्ताकारों के जरिये इसकी जानकारी थी। उन्होंने दोनों सेनाओं के बीच समझौता कराने में वाशिंगटन की भूमिका को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, जिसका मतलब है कि पाकिस्तान की चुनौतियों का जवाब देने के लिए ऑपरेशनल तैयारी है। वे इसे युद्ध विराम भी नहीं कहना चाहते, बल्कि इसे सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी बंद करना कहते हैं। अमेरिका-चीन के बीच हुई सबसे बड़ी ट्रेड डील, टैरिफ वॉर खत्म?