भारत ने रविवार को श्रीलंका में राजनीतिक संकट के समाधान का स्वागत किया और भरोसा जताया कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार जारी रहेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनीतिक मसलों का समाधान सभी राजनीतिक ताकतों की ओर से दिखाई गई परिपक्वता की झलक है। श्रीलंका में यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता रानिल विक्रमसिंघे को रविवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। विक्रमसिंघे के फिर से प्रधानमंत्री बनने के साथ ही 51 दिनों तक जारी रहे राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया।
गतिरोध खत्म होने को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘करीबी पड़ोसी और सच्चे दोस्त के तौर पर भारत श्रीलंका में राजनीतिक हालात सुलझाने का स्वागत करता है। यह सभी राजनीतिक ताकतों की ओर से दिखाई गई परिपक्वता और श्रीलंकाई लोकतंत्र व इसकी संस्थाओं के लचीलेचन की झलक है।’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार श्रीलंका में जनोन्मुखी विकास परियोजनाएं आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने ने कहा, ‘हमें यकीन है कि भारत और श्रीलंका के संबंधों में निरंतर सुधार जारी रहेगा।’
श्रीलंका में 51 दिनों तक राजनीतिक गतिरोध जारी रहा। विक्रमसिंघे को वहां के राष्ट्रपति मैत्रीपला सिरिसेना ने 26 अक्तूबर को बर्खास्त कर दिया था। प्रधानमंत्री ने इस आदेश को असंवैधानिक और अवैध ठहराते हुए पद छोड़ने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद वहां का गतिरोध खत्म हुआ।
नई व्यवस्था बहाल होने के बाद यूएनपी के नेता विक्रमसिंघे को सिरिसेना ने ही पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वहां कैबिनेट के बाकी मंत्रियों को सोमवार को शपथ दिलाई जाएगी। पुनर्बहाल किए गए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति सिरिसेना के साथ वह काम करेंगे। उन्हें कुछ लोगों ने बरगलाया था।