भारत में कोरोनावायरस महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन का सबसे बुरा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा था। पिछले दिनों कई रिपोर्ट्स में इसका खुलासा हो चुका है। हालांकि, अब संयुक्त राष्ट्र से जुड़े अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) की रिपोर्ट में यह और ज्यादा साफ हो गया है। इस हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में न्यूनतम मजदूरी पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल से भी कम रही है।
रिपोर्ट में साफ किया गया है कि भारत में लगे पहले और दूसरे फेज के लॉकडाउन के दौरान सबकुछ बंद होने की वजह से मजदूरों को कोई भी दिहाड़ी नहीं दी गई। 40 दिन तक चले इस शुरुआती फेज के लॉकडाउन से असंगठित क्षेत्र के कामगारों के वेतन में औसतन 22.6 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, संगठित क्षेत्र के कामगार लॉकडाउन के असर से काफी हद तक सुरक्षित रहे और उनके वेतन में 3.6 फीसदी की गिरावट ही दर्ज की गई।
बता दें कि भारत में मजदूरों और कामगारों के वेतन को मपाने के लिए ILO ने अपनी ग्लोबल वेज रिपोर्ट-2021 में मीडियन वैल्यू को जगह दी है। दरअसल, ज्यादातर देशों में क्षेत्रों और सेक्टरों के आधार पर अलग-अलग न्यूनतम वेतन दरें होती हैं। पर भारत में न्यूनतम वेतन के लिए एक ही पैमाना- 176 रुपए प्रतिदिन का लागू किया गया है।
हालांकि, अगर इस लिहाज से भी देखें तो वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति काफी खराब है। जहां पूरी दुनिया का औसत न्यूनतम मासिक वेतन करीब 9720 रुपए प्रतिदिन के आसपास ठहरता है, वहीं भारत के लिए यह 4300 रुपए आता है। इसी तरह पाकिस्तान में यह 9820 रुपए, नेपाल में 7920 रुपए, श्रीलंका में 4940 रुपए और चीन में 7060 रुपए है।
इस बीच अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि ILO की रिपोर्ट ने उस संकट का खुलासा कर दिया है, जिसे सरकार काफी समय से व्यापार में आसानी और मजदूर सुधार के नाम पर छिपाने की कोशिश कर रही थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मजदूरों के वेतन में गिरावट का सीधा असर देश की आर्थिक मंदी पर पड़ेगा साथ ही इससे गरीबी के आंकड़े में भी बढ़ोतरी होगी।