संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। अलग-अलग राज्यों में लोग सड़कों पर उतरकर इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। विपक्षा का कहना है कि सीएए संविधान का उल्लंघन करता है। वहीं मुस्लिम नेताओं का कहना है कि सीएए से मुस्लिमों की नागरिकता को खतरा है और इससे भय का माहौल है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष संशोधित नागरिकता कानून को लेकर जनता में भ्रम फैला रहा है जिसे दूर करने के लिए बीजेपी जगह-जगह रैली का आयोजन कर जनता को इसके बारे में जानकारी दे रही है।

क्या मुस्लिमों में सीएए को लेकर भय है, सीएए पर अल्पसंख्यक क्या सोचते हैं। अल्पसंख्यक सीएए के बारे में जानते हैं या अनजान हैं। इन्हीं कुछ सवालों को लेकर इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स ने सर्वे किया। इसके जरिए सीएए और एनआरसी पर देश का मूड जानने की कोशिश की गई। सीएए लागू होने के बाद किए गए इस सर्वे में कुछ अहम बातें सामने आई है।

सर्वे में सामने आया है कि सीएए-एनआरसी से 38% अल्पसंख्यकों में डर का माहौल है। 32 फीसदी अल्पसंख्यकों का कहना है कि सीएए-एनआरसी से उन्हें किसी तरह का डर नहीं है। वहीं 41 फीसदी को यह मंजूर है। सर्वे में सामने आया है कि 33 फीसदी सीएए से अनजान हैं।

सर्वे में 49 फीसदी अल्पसंख्यकों ने माना कि एनआरसी लागू करना लोकतंत्र के लिए अच्छा कदम है। वहीं 26 प्रतिशत लोगों ने माना कि एनआरसी लागू करना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। इतने ही लोगों ने कहा कि वह सीएए के खिलाफ हैं। वहीं 25 फीसदी ने कहा कि उन्हें एनआरसी के बारे में नहीं पता।

इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स का यह सर्वे 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्रों और 194 विधानसभा क्षेत्रों के 12,141 लोगों के बीच किया गया। इसमें 67 प्रतिशत ग्रामीण और 33 प्रतिशत शहरी और लगभग समान संख्या में महिलाएं और पुरुषों को शामिल किया गया।