रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को दो घरेलू फर्मों के साथ 4.25 लाख से अधिक क्लोज-क्वार्टर बैटल कार्बाइन की खरीद और एक इटली फर्म के साथ स्कॉर्पेन या कलवरी कैटेगरी की पनडुब्बलियों के लिए 48 हैवीवेट टॉरपीडो की खरीदने के लिए डील साइन की है। यह डील 4,666 करोड़ रुपये की है।

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में भारत फोर्ज लिमिटेड और पीएलआर सिस्टम्स (अडानी डिफेंस और इजरायल वेपन इडस्ट्रीज का साझा उद्यम) के साथ सहायक उपकरण और सीक्यूबी कार्बाइन के लिए 2770 करोड़ रुपये की डील की गई है।

60 फीसदी भारत में बनेगा

इन कार्बाइनों में से 60 फीसदी का निर्माण भारत फोर्ज करेगा, जबकि शेष का निर्माण पीएलआर सिस्टम करेगा। आर्मी और नेवी को इनकी आपूर्ति लगभग पांच सालों में किए जाने की संभावना है।

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा,”यह डील आत्मनिर्भर भारत के तहत सैनिकों को विश्व स्तरीय मारक क्षमता से लैस करने और पुरानी प्रणालियों को आधुनिक स्वदेशी तकनीक से बदलने के प्रयास हैं।”

आगे कहा, “CQB कार्बाइन अपने कॉम्पैक्ट डिजाइन और हाई फायरिंग रेट के कारण करीबी मुकाबले महत्वपूर्ण बढ़त देती है, जिससे सीमित जगहों में त्वरित और निर्णायक मारक क्षमता सुनिश्चित होगी। यह समझौता सरकारी और निजी क्षेत्र की तालमेल को दर्शाता है, जो मेक-इन-इंडिया पहल को गति देगा।

नेवी को मिलेगा 48 ब्लैक शार्क हैवीवेट टॉरपीडो

नेवी की छह कलवरी कैटेगरी या स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए 48 ब्लैक शार्क हैवीवेट टॉरपीडो और संबंधित उपकरणों की खरीद के लिए 1896 करोड़ रुपये का समझौता WASS सबमरीन सिस्टम एसआरएल के साथ साइन किया गया है।

मंत्रालय ने कहा, “48 टॉरपीडो की डिलीवरी अप्रैल 2028 से मिलनी शुरू हो जाएगी और 2030 तक पूरी हो जाएगी। यह महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं और उन्नत तकनीकी विशेषताओं से लैस ये टॉरपीडो छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगे।”

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