रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है, ऐसे में एक मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा गया कि यूक्रेन इस जंग में भारत की ओर से भेजे गए गोला-बारूद का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन भारत ने रॉयटर्स की इस रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया। दरअसल रॉयटर्स ने लिखा था कि भारत ने जो हथियार यूरोपीय देशों को बेचे थे उनका इस्तेमाल यूक्रेन कर रहा है। रॉयटर्स ने दावा किया कि भारत ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की है। रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत और भ्रामक है। हालांकि रॉयटर्स का कहना है कि यह रिपोर्ट यूरोपीय सरकार, रक्षा उद्योग के अधिकारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है।
विदेश मंत्रालय की ओर से क्या कहा गया है?
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि रॉयटर्स की यह रिपोर्ट पूरी तरह भ्रामक है और अटकलों पर आधारित है। मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत का सैन्य उपकरणों के निर्यात को लेकर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने का एक बेदाग ट्रैक रिकॉर्ड है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह एक साल से हो रहा है। तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया था।
पीएम मोदी ने वोलोदिमीर जेलेंस्की से की थी मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी और उनसे पुतिन के साथ बैठकर इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए कहा था। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक काफी महत्वपूर्ण रही थी। लेकिन रूस भी भारत का काफी करीबी मित्र रहा है। ऐसे में पिछले हफ्ते खबर आई थी कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पतिन से मुलाकात की है।
असल में पीएम मोदी चाहते थे कि रूसी राष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि उनकी जेलेंस्की के साथ क्या बातचीत हुई थी। उसी बातचीत वाले संदेश को लेकर एनएसए अजीत डोभाल रूस गए थे। राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ बातचीत काफी क्लोज फॉर्मेट वाली थी। सिर्फ दो नेताओं के बीच में बात हुई थी, दो और लोग साथ बैठे थे। मैं खुद उस बातचीत का साक्षी हूं।