Dalai Lama Successor: भारत ने चीन को साफ-साफ शब्दों में समझाया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में सिर्फ वही फैसला ले सकते हैं। भारत ने गुरुवार को इस पड़ोसी मुल्क से कहा कि उसे दलाई लामा के पुनर्जन्म को मंजूरी दे देनी चाहिए। दलाई लामा ने भी बुधवार को कहा था कि उनके द्वारा स्थापित किए गए गादेन फोडरंग ट्रस्ट को उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार है लेकिन चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन करेगा।

14वें दलाई लामा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी को भी इस मामले में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए बल्कि दुनिया भर में उनके सभी अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा के पास है।’ भारत ने यह भी कहा है कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और राजीव रंजन सिंह रविवार को 14वें दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में शामिल होंगे।

क्या दलाई लामा की चयन प्रकिया में दखलअंदाजी करेगा चीन, कौन होगा उत्तराधिकारी?

दलाई लामा कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा था, ‘भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया 24 सितम्बर 2011 के बयान में स्पष्ट रूप से स्थापित की गई है। इसमें कहा गया है कि ऐसा करने की जिम्मेदारी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के सदस्यों पर होगी।’

चीन ने क्या कहा था?

इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन की सीमाओं के भीतर उसकी निगरानी में होना चाहिए। चीन का लंबे समय से यही रुख रहा है।

1959 से भारत में हैं दलाई लामा

दलाई लामा 1959 से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। जब चीन के शासन के खिलाफ विद्रोह हुआ था तो वह वहां से भारत आ गए थे। दलाई लामा को दुनिया भर में अहिंसा, करुणा और तिब्बती लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा के संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखा जाता है जबकि बीजिंग उन्हें अलगाववादी बताता है।

निर्वासित तिब्बतियों में से कई लोगों को डर है कि चीन भविष्य में अपना दलाई लामा नियुक्त करने का प्रयास कर सकता है।

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