प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया। फाइनेंशियल टाइम्स के थिंक टैंक के अनुसार साल 2015 में विदेशी निवेश के मामले में भारत नंबर एक पर रहा। कई दशकों से इस मामले में चीन पहली पसंद बना हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार,’लंबे समय तक चीन से पिछड़ने के बाद भारत अपने प्रतिद्वंदी से आगे निकल गया है। 2015 में भारत केपिटल इंवेस्टमेंट के मामले में सबसे ऊपर रहा। इस दौरान भारत में 63 बिलियन डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की घोषणा हुई।’
रिपोर्ट में आगे कहा गया,’इस अवधि में चीन में केपिटल इंवेस्टमेंट में 23 प्रतिशत और एफडीआई में 16 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। केपिटल इंवेस्टमेंट के मामले में भारत ने चीन को अपदस्थ कर दिया। लंबे समय तक चीन के पीछे रहने के बाद अब भारत वैश्विक विकास की नई पसंद है।’ हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के विकास की नई योजनाएं दुनिया पर ज्यादा गहरा असर डाल सकती हैं। वह सिल्क रोड और यूरोप तक सामान भेजने जैसी योजनाओं पर काम कर रहा है जिससे निवेश और दो महाद्वीपों के बीच कनेक्टिीविटी बढ़ सकती है।
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fDi मैगजीन की एडिटर इन चीफ कर्टनी फिंरग ने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणाओं के बाद भारत ने चीन को विदेशी निवेश में पीछे छोड़ दिया। इस रफ्तार को बनाए रखना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए मुश्किल परीक्षा होगी। उन्होंने कहा,’भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, नौकरशाही को कम करने और असमानता का सामना करने जैसी बड़ी समस्याएं सामने हैं। इनका सामना कैसे किया जाएगा इनसे भारत के निवेश का भविष्य तय होगा।’