कोरोना के बाद बेरोजगारी पर घिरी केंद्र सरकार अब राहत में दिख रही है। सोमवार को आए तिमाही रोजगार सर्वेक्षण के अनुसार देश में नौकरियां बढ़ी हैं। श्रम मंत्रालय ने ये सर्वे नौ प्रमुख क्षेत्रों में किए हैं। जहां 3.08 करोड़ रोजगार के मौके रहे। जिसमें पिछले आठ सालों के तुलना में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही है।
2013-14 में इन क्षेत्रों में 2.37 करोड़ कर्मचारी थे, जो 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2021-22 के अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 3.08 करोड़ लोगों को इन क्षेत्रों में रोजगार मिला।
सर्वेक्षण में मैनुफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और होटल, आईटी / बीपीओ और फाइनेंशियल सेवाओं के नौ क्षेत्रों को शामिल किया गया। 2013 की आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, इन नौ क्षेत्रों में 85 प्रतिशत रोजगार थे।
क्यूईएस ने 2013 की आर्थिक रिपोर्ट की तुलना में व्यापार और आवास-होटल क्षेत्र में रोजगार में गिरावट देखी गई है। आईटी/बीपीओ (152 फीसदी), स्वास्थ्य (77 फीसदी), शिक्षा (39 फीसदी), विनिर्माण (22 फीसदी), परिवहन (68 फीसदी) और निर्माण (42 फीसदी) क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि देखी गई।
हाल के महीनों में कई सर्वेक्षणों में रोजगार संकट को दिखाया गया था। एक निजी शोध एजेंसी, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, देश के तत्कालीन कुल 181 लाख नौकरियों में से लगभग 59 लाख मई और अगस्त 2020 के बीच चार महीनों के लॉकडाउन में खत्म हो गई थी।
सीएमआईई के सर्वे में इस साल मई में 11.9 प्रतिशत मासिक बेरोजगारी दर थी। इसमें शहरी क्षेत्रों में 14.73 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 10.63 प्रतिशत बेरोजगारी रही। उस महीने 1.5 करोड़ से अधिक नौकरियां चली गईं थी।
क्यूईएस की रिपोर्ट में यह भी पाया कि इन नौ क्षेत्रों में लगभग 27 प्रतिशत संस्थानों ने कोविड से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों की छंटनी की थी। हालांकि, इस रिपोर्ट में नौकरी छूटने का कोई आंकड़ा नहीं दिया है।
The Quarterly Employment Surveys will provide useful data for policy-makers, central and state governments, researchers and all other stakeholders to draft better and more targeted policies. pic.twitter.com/thC59K3Td0
— Bhupender Yadav (मोदी का परिवार) (@byadavbjp) September 27, 2021
सोमवार को इस रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पेश किया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 25 मार्च से 30 जून के बीच लॉकडाउन के दौरान 81 प्रतिशत कर्मचारियों को पूरा वेतन मिला था। इसमें कहा गया है कि 16 प्रतिशत को कम मजदूरी मिली थी और लगभग 3 प्रतिशत को कोई पैसा नहीं मिला था।
क्यूईएस रिपोर्ट में कहा गया है कि मैनुफैक्चरिंगमें 41 प्रतिशत रोजगार के बाद शिक्षा (22 प्रतिशत), स्वास्थ्य (8 प्रतिशत) और आईटी / बीपीओ (7 प्रतिशत) में सार्वाधिक रोजगार मिला है। इस बार महिला श्रमिकों की कुल भागीदारी 29 प्रतिशत रहा, जो 2013 के आंकडे़ से कम है।