भारत वर्ल्ड एनुअल कॉन्क्लेव 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने देश में पासपोर्ट सेवा, डिजिटल गवर्नेंस और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा पर महत्वपूर्ण बातें रखीं। उन्होंने बताया कि पिछले दस सालों में सरकार ने लोगों की सुविधा और भरोसे को बढ़ाने के लिए कई बड़े बदलाव किए हैं। उन्होंने कहा कि दस साल पहले पासपोर्ट बनवाना लोगों के लिए बड़ा मुश्किल काम था। उस समय देश में केवल 77 जगहों पर पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जा सकता था लेकिन अब पिछले दस वर्षों में 468 और स्थान जोड़ दिए गए हैं। यानी अब देश के लगभग हर हिस्से से लोग आसानी से पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं।

लंबी जटिल प्रक्रिया से मिली निजात

पहले पासपोर्ट बनाना लंबी और जटिल प्रक्रिया थी, लेकिन आज यह किसी परेशानी का कारण नहीं रह गया। तेज गति से पासपोर्ट जारी होना, दस्तावेजों की स्पष्टता, और पूरी प्रक्रिया का डिजिटल होना – इन सबने इसे बेहद आसान और पारदर्शी बना दिया है। विदेश मंत्री के अनुसार पासपोर्ट कार्यक्रम आज भारत की डिजिटल गवर्नेंस का सबसे बेहतर उदाहरण बन चुका है।

उन्होंने बताया कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए दस साल पहले ‘मदद’ नाम का पोर्टल शुरू किया गया था। इस पोर्टल के माध्यम से सिर्फ पिछले तीन सालों में खाड़ी देशों में 1,38,000 शिकायतों का समाधान किया गया है।

इस मुस्लिम देश ने पाकिस्तानियों को वीजा देना किया बंद, पाकिस्तानी पासपोर्ट पर लगा सकता है प्रतिबंध

इसके अलावा संकट में फंसे भारतीयों की मदद के लिए ‘इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड’ को भी काफी बढ़ाया गया है। पासपोर्ट और वाणिज्यिक सेवाओं पर लगने वाले सेस से जुटाई गई राशि इसी फंड में जाती है। इस फंड के माध्यम से पिछले तीन वर्षों में 2,38,000 लोगों की मदद की गई है।

मोबिलिटी पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि केवल विदेश जाने के अवसर बढ़ाना काफी नहीं है, बल्कि बाहर काम करने वाले भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी जरूरी है। इसी वजह से भारतीय अधिकारी मजदूर कैंपों का नियमित निरीक्षण करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरों में वे अक्सर खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूरों से मिलते हैं। इससे पूरी व्यवस्था को स्पष्ट संदेश मिलता है कि प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और सम्मान सरकार की प्राथमिकता है।

आज भारत का ‘ई-सेवा’ कार्यक्रम भी बड़ी गति से आगे बढ़ रहा है। लोग अपनी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज करते हैं और समाधान भी ऑनलाइन प्राप्त करते हैं। डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल, सेवाओं का विस्तार और कामगारों को दी जा रही प्रेरणा – ये सभी कदम मिलकर भारत की वैश्विक कार्यबल तैयार करने की दिशा में मजबूत नींव रख रहे हैं।