India Pakistan Ceasefire: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव के हालात बने और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर PoK में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की। जब पाकिस्तान ने भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया तो इसका भी भारत ने जोरदार ढंग से जवाब दिया।
इस दौरान पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर तोड़ने की भी जानकारी भारतीय सेना ने दी। तनाव बढ़ने के बीच ही दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए। इस दौरान सीजफायर शब्द काफी चर्चा में आ गया।
आइए समझते हैं कि आखिर सीजफायर होता क्या है, इसका सही मतलब क्या है?
Françoise Bouchet-Saulnier की किताब The Practical Guide to Humanitarian Law के मुताबिक, सीजफायर किसी संघर्ष में शामिल देशों के बीच एक समझौता है जिसका मतलब है कि एक निश्चित वक्त के लिए मिलिट्री कार्रवाई को रोक दिया जाएगा लेकिन सीजफायर का यह मतलब नहीं होता कि दोनों देशों की दुश्मनी खत्म हो गई है। सीजफायर सिर्फ लड़ाई के विराम या इसके रुकने की बात कहता है।
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इसे सीधे शब्दों में इस तरह समझें कि सीजफायर जंग की समाप्ति नहीं बल्कि एक अस्थायी युद्धविराम है, जिसमें दोनों पक्ष लड़ाई को रोकने पर सहमत होते हैं और यह अंतरराष्ट्रीय और गैर-अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के सशस्त्र संघर्षों में लागू होता है। यह समझौता लिखित या मौखिक हो सकता है। किसी तीसरे पक्ष के दखल देने से भी सीजफायर होता है।
1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आने से पहले ‘संघर्षविराम’ (ceasefire), ‘युद्धविराम’ (truce) और ‘शांति संधि’ (peace treaty) जैसे शब्दों का इस्तेमाल अलग-अलग अर्थों में किया जाता था।
सीजफायर समझौते में किन बातों को कवर किया जाता है?
ऑक्सफोर्ड एंट्री के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय और गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों के मामलों में सीजफायर एग्रीमेंट में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है।
शुरू होने का समय और तारीख, सीजफायर के दौरान मिलिट्री (कोई भी सैन्य हिंसा) और नॉन मिलिट्री (हिंसा की धमकी या प्रोपेगेंडा)
के किन कामों पर रोक होगी, सशस्त्र बलों को अलग करना और युद्ध विराम रेखा या फिर बफर ज़ोन बनाना, वेरिफिकेशन, सुपरविजन और मॉनिटरिंग करना और युद्धबंदियों की वापसी, विस्थापित लोगों की मदद और मुआवजे की बातें आदि भी इसमें शामिल हैं।
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सीजफायर के उल्लंघन पर अंतर्राष्ट्रीय कानून क्या कहता है?
सीजफायर के उल्लंघन में कोई कानूनी सजा नहीं होती क्योंकि इसे संघर्ष और शांति के बीच पहला कदम माना जाता है। सीजफायर के उल्लंघन को लेकर हैग नियमावली (Hague Regulations) में कुछ बातें कही गई हैं। Hague Regulations को 1910 में बनाया गया था।
ऑक्सफोर्ड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के अनुसार, Hague Regulations का अनुच्छेद 36 कहता है कि अगर सीजफायर की अवधि तय नहीं है तो कोई भी पक्ष चेतावनी देकर संघर्ष दोबारा शुरू कर सकता है।
Hague Regulations के अनुच्छेद 40 के अनुसार, यदि कोई पक्ष सीजफायर का गंभीर उल्लंघन करता है तो दूसरा पक्ष तुरंत संघर्ष शुरू कर सकता है।
अनुच्छेद 41 कहता है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से सीजफायर की शर्तों का उल्लंघन करता है तो पीड़ित पक्ष दोषियों को सजा देने या हुए नुकसान का मुआवज़ा मांग सकता है।
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