देश में तिरंगा बनाने वाली प्रमुख खादी इकाई अन्य इकाइयों के साथ मिलकर केंद्र सरकार के पॉलिएस्टर (भारतीय या आयातित) के राष्ट्रीय ध्यज बनाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के साथ ही देशव्यापी आंदोलन की तैयारी कर रहा है। कर्नाटक के हुबली में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संध जो कि भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से दिए गए निर्देशों के मुताबिक शुद्ध खादी के झंडे का निर्माण करता है। उसका कहना है कि इस कारण से उसे अपनी इकाई को बंद करना पड़ सकता है।

संयुक्त संध के सचिव शिवानंदा मथापति ने अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ से बातचीत करते हुए कहा, “हम सरकार के द्वारा पॉलिएस्टर का झंडा बनाने के निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे हैं। इसके साथ हमारी योजना आदेश के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट जाने की है। हमारा आंदोलन कर्नाटक से शुरू होगा और फिर पूरे अन्य राज्यों में स्थित खादी यूनिट्स के माध्यम से पूरे देश में फैला देंगे। हमारी कोशिश यह होगी कैसे भी सरकार को समझाया जाए और वह अपने निर्णय को वापस ले”

उन्होंने आगे कहा, “हम सरकार के इस निर्णय को लेकर पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा चुके हैं और उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।” हालांकि संयुक्त संध ने अपने देशव्यापी आंदोलन की तारीखों के बारे में कोई भी खुलासा नहीं किया है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस की वजह से तिरंगों की अधिक मांग के चलते इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।  

मथापति ने बताया कि अकेले कर्नाटक में खादी सेक्टर से 45 हजार लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। अगर खादी के तिरंगों की मांग में कमी आती है, तो इसका सीधा प्रभाव इन लोगों की जिंदगी पर पड़ेगा। मथापति ने आगे कहा, “सरकार ने ये निर्णय शायद हर घर तिरंगा कैंपेन के लिए लिया है, जिसमें सरकार का लक्ष्य आजादी 75 वर्ष पूरे होने पर हर घर में तिरंगा पहुंचाना है। लेकिन हमें खादी से जुड़ी पवित्रता को याद रखने की जरूरत है, यही वजह है कि हमारे संस्थापक चाहते थे कि सभी राष्ट्रीय झंडे खादी से बने हों। यही कारण है कि केंद्र ने 2019 में प्लास्टिक के राष्ट्रीय झंडे के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।”

कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार ने ये निर्णय अपने पॉलिएस्टर बनाने वाले पूंजीपति मित्रों के समर्थन में लिया है और यह स्वतंत्रता आंदोलन की भावना का उल्लंधन करता है।