भारत के चीफ जस्टिस बी. आर. गवई ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है। CJI मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोल रहे थे। मुख्य न्यायाधीश गवई ने महात्मा गांधी और बीआर अंबेडकर का हवाला देते हुए न्यायसंगत और अन्यायपूर्ण कानून के बीच अंतर बताया।

सीजेआई गवई ने कहा, “यह याद रखना जरूरी है कि किसी चीज को कानूनी मान्यता मिलने का मतलब यह नहीं कि वह न्यायसंगत है। इतिहास इस दर्दनाक सच्चाई के अनगिनत उदाहरण पेश करता है। उदाहरण के लिए गुलामी कभी दुनिया के कई हिस्सों में अमेरिका सहित कानूनी थी। भारत में 1871 के आपराधिक जनजाति अधिनियम जैसे औपनिवेशिक कानूनों ने पूरे समुदायों और जनजातियों को जन्म से ही अपराधी घोषित कर दिया। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में कानूनों ने मूल निवासियों और हाशिए पर पड़े समुदायों को दंडित किया। इससे व्यवस्थागत अन्याय को बल मिला। दमनकारी कानूनी व्यवस्थाओं के खिलाफ प्रतिरोध को दबाने के लिए अक्सर राजद्रोह के कानूनों का इस्तेमाल किया जाता था।”

आर्टिकल 32 का सीजेआई ने किया जिक्र

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “ये उदाहरण इस बात पर जोर देते हैं कि सिर्फ कानूनी वैधता ही निष्पक्षता या न्याय प्रदान नहीं करती। यह महत्वपूर्ण अंतर भारतीय संविधान की नींव में से एक है।” सीजेआई ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 32 इस सिद्धांत को मूर्त रूप देता है कि कानून को न्याय देना चाहिए, कमजोर लोगों की रक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्ता का इस्तेमाल नैतिक तरीके से किया जाए।

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मुख्य न्यायाधीश ने चार फैसलों का हवाला दिया

उन्होंने कहा कि संविधान को अपनाने के बाद से कानून के शासन की अवधारणा कानूनी ग्रंथों से कहीं आगे विकसित हो गई है। मुख्य न्यायाधीश ने चार फैसलों का हवाला दिया। ये फैसले थे शायरा बानो मामला, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक-ए-बिदत की प्रथा को मनमाना माना था, व्यभिचार को अपराधमुक्त करने वाला फैसला, बिलकिस बानो मामले में दोषियों को दी गई सजा माफी को रद्द करने वाला 2024 का फैसला और चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने वाला फैसला। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल के निमंत्रण पर सीजेआई मॉरीशस का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने गांधी जयंती के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी संस्थान में आयोजित समारोह में हिस्सा लिया।