भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले चार महीने से तनाव की स्थिति बरकरार है। इस बीच मोदी सरकार ने कई बार अपने बयानों में चीन के साथ टकराव वाले तीन स्थानों- पैंगोंग सो, गलवान घाटी, गोगरा पॉइंट-हॉट स्प्रिंग्स का जिक्र तो किया है, पर डेपसांग प्लेन्स में चीनी आक्रामकता का मुद्दा अब तक चर्चा से गायब रहा है। हालांकि, सुरक्षा मामलों से जुड़े एक उच्च अधिकारी ने बताया है कि डेपसांग में भारत ने अब तक कोई क्षेत्र नहीं गंवाया है। लेकिन भारतीय सेना अपने इस क्षेत्र में 10-15 साल से ज्यादा समय से नहीं जा पाई है।

अफसर ने पाकिस्तान से लगी एलओसी का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ सीजफायर उल्लंघन और घुसपैठ की घटनाओं को छोड़ दिया जाए, तो पाक की ओर से LoC या सियाचिन (डेपसांग से 80 किमी दूर) पर टुकड़ियों की तैनाती के कोई सबूत नहीं हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने अब तक पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना के जवानों को व्यस्त रखा है, जिसकी वजब से सेना को दूसरी कमांड की टुकड़ियों की बदौलत लद्दाख में अपनी मौजूदगी बढ़ानी पड़ी।

चीन ने टुकड़ियां तैनात कर रोकी भारतीय सेना की गश्त: बताया गया है कि डेपसांग प्लेन्स इलाके में चीन ने अपनी दो ब्रिगेड तैनात की हैं, जिससे भारत का अपने पारंपरिक पैट्रोलिंग पॉइंट (गश्ती क्षेत्र) पीपी 10 से लेकर 13 तक का संपर्क कट गया है। अफसर का कहना है कि भारत का संपर्क अपने ही क्षेत्र से काटने की चीन की यह हरकत मौजूदा टकराव से कुछ हफ्ते पहले ही शुरू हुई थी।

कूटनीतिक रूप से अहम है डेपसांग प्लेन्स: बता दें कि डेपसांग प्लेन्स भारत के लिए बेहद अहम हैं। इसकी एक वजह यह है कि यह जगह पूर्व में ‘काराकोरम पास’ के नजदीक स्थित कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्दी पोस्ट से महज 30 किलोमीटर दूर है। साथ ही डेपसांग प्लेन्स लद्दाख की पहाड़ी धरती पर इकलौती जगह है, जहां की जमीन बिल्कुल समतल है। इसका फायदा यह है कि इस जगह से कोई भी स्पांगुर गैप या चुशुल सब-सेक्टर की तरह ही सैन्य आक्रमण को अंजाम दे सकता है।

डेपसांग प्लेन्स में सेना को कनेक्टिविटी मुहैया कराने वाला बॉटलनेक (बोतल के ऊपर हिस्से जैसा संकरा इलाका) लद्दाख में बुर्त्से से महज 7 किलोमीटर दूरी पर ही स्थित है। इस जगह पर भारतीय सेना का बेस भी है। बुर्त्से हाल ही में बनी दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्दी (DSDBO) सड़क का हिस्सा है।

972 वर्ग किमी इलाके पर 15 साल से गश्त नहीं: चौंकाने वाली बात यह है कि आर्मी बेस होने के बावजूद भारत एलएसी के अपनी तरफ होने के बावजूद डेपसांग प्लेन्स के कई हिस्सों पर 15 सालों से नहीं गया। जिस हिस्से पर भारत ने लंबे समय से गश्त नहीं की है, वह इलाका करीब 972 वर्ग किलोमीटर का है। अफसर ने बताया कि पहले हम उन पैट्रोल पॉइंट्स तक जाते थे, पर अब चीनी सेना हमें वहां जाने से रोक रही है, लेकिन इस टकराव में हमने कुछ भी नहीं खोया है।