हाल ही में जारी विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2024 रपट वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों, ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में किए गए प्रयासों पर केंद्रित है। यह रपट ऊर्जा क्षेत्र में आने वाली अनिश्चितताओं और उनके समाधान के लिए नीतिगत सुझाव प्रस्तुत करती है। इसमें भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर इस रपट में यह चेतावनी दी गई है कि यदि वर्तमान नीतियों को मजबूत नहीं किया गया, तो वैश्विक तापमान इस सदी के अंत तक 2.4 सेल्सियस तक बढ़ सकता है। यह वृद्धि न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक होगी, बल्कि मानव समाज और आर्थिक गतिविधियों पर भी गंभीर प्रभाव डालेगी। भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना तथा ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटर जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है। जाहिर है, ये भारत का बड़े लक्ष्य हैं।

युद्ध की वजह से ऊर्जा आपूर्ति के तनाव

रपट में यह रेखांकित किया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव ने ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। इसके परिणामस्वरूप तेल और गैस की आपूर्ति शृंखलाओं में बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। इससे दुनिया भर में ऊर्जा सुरक्षा के प्रति चिंता बढ़ी है। भारत (जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है) ने स्वदेशी संसाधनों को बढ़ावा देने और ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इसके तहत स्वदेशी ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि, सौर और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय स्रोतों का उपयोग और आपातकालीन तेल भंडार का निर्माण जैसी पहल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

बढ़ते प्रदूषण से घट रहा उत्पादन, मिट्टी की गुणवत्ता से पैदावार पर हो रहा सीधा असर

पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हुई प्रगति ने ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक नई क्रांति ला दी है। वर्ष 2023 में 560 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई, जो दर्शाता है कि विश्व स्वच्छ ऊर्जा के प्रति तेजी से अग्रसर हो रहा है। भारत ने भी इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने, हरित हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार करने और पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं। उज्ज्वला योजना जैसी नीतियों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा सुविधाओं का विस्तार हो रहा है।

लोहा-इस्पात और सीमेंट उत्पादन में वृद्धि की संभावना

विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2024 रपट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि अगले दशक में वैश्विक ऊर्जा मांग में वृद्धि होगी, जिसमें भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे विकासशील देशों की प्रमुख भूमिका होगी। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की तेज रफ्तार के कारण, भारत का भवन निर्माण क्षेत्र हर साल एक अरब वर्गमीटर से अधिक का क्षेत्र जोड़ने जा रहा है। इसके साथ ही, लोहे और इस्पात उत्पादन में 70 फीसद की वृद्धि और सीमेंट उत्पादन में 55 फीसद की वृद्धि की संभावना है। बढ़ते हुए मध्यम वर्ग और बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण, वातानुकूलन यंत्रों की मांग 4.5 गुना तक बढ़ने की संभावना है। चिंता की बात है कि इससे बिजली की खपत में भारी बढ़ोतरी होगी।

दुनिया में भारत की साख हुई बेहतर, चिकित्सा में आत्मनिर्भरता के कदम

भारत की ऊर्जा नीति का एक अहम पहलू कोयले का उपयोग है, जो अभी भी ऊर्जा उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2030 तक, 60 गीगावाट कोयले की क्षमता जोड़ी जाएगी, जिससे कोयले से बिजली उत्पादन में 15 फीसद की वृद्धि होगी। हालांकि, भारत ने सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को तेजी से बढ़ावा दिया है। वर्ष 2035 तक, देश की बिजली उत्पादन क्षमता तीन गुना हो जाने की संभावना है, जिसमें प्रमुख योगदान नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का होगा।

परिवहन क्षेत्र में, भारत विद्युतीकरण की ओर कदम बढ़ा रहा है। सार्वजनिक परिवहन और दो/तीन पहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने के लिए कई पहल की जा रही है। इस साल लागू की गई प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के अंतर्गत बीस लाख अस्सी हजार इलेक्ट्रिक दो/तीन पहिया वाहनों और 14,000 इलेक्ट्रिक बसों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही, फास्ट चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए भी व्यापक योजनाएं बनाई जा रही हैं।

भारत ने किया ‘सोलर होम सिस्टम का विस्तार

विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2024 रपट में स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच को बढ़ाने के लिए नवाचार और वित्तीय निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। भारत ने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में माइक्रो ग्रिड और ‘सोलर होम सिस्टम’ का विस्तार किया। नवीकरणीय ऊर्जा में निजी और अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार किए जा रहे हैं। भारत वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा खपत में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 50 फीसद तक बढ़ाने का लक्ष्य इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए किए गए प्रयास भारत को एक वैश्विक ऊर्जा नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था को देख कर दुनिया अचंभित, घरेलू बाजार की बड़ी भूमिका

स्वच्छ ऊर्जा का बढ़ता उपयोग न केवल पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था और समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और ऊर्जा उत्पादन की लागत में कमी आ रही है। इसके अलावा, स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है और गरीब वर्ग को आधुनिक ऊर्जा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और ऊर्जा क्षेत्र को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए 2070 तक शुद्ध उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने की दिशा में सरकार की नीतियां और योजनाएं प्रभावी साबित हो रही हैं। वर्ष 2035 तक, भारत की कुल उत्सर्जन 2.5 बिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक निवेश और नीति सुधार आवश्यक होंगे। विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2024 रपट दरअसल वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की बदलती आवश्यकताओं और भारत के प्रयासों को स्पष्ट रूप से सामने लाती है। ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के प्रयास अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के समन्वित प्रयासों के माध्यम से भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा स्थिरता और जलवायु सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।

ऊर्जा महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत

यह रपट नीति निर्माताओं, उद्योग जगत और अन्य हितधारकों के लिए एक दिशा प्रदान करती है, ताकि स्वच्छ, सुरक्षित और समृद्ध ऊर्जा भविष्य की ओर तेजी से कदम बढ़ाया जा सके। भारत अपनी मजबूत ऊर्जा नीतियों और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ न केवल एक ऊर्जा महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए एक मिसाल स्थापित कर रहा है। आने वाले दशक में भारत की ऊर्जा नीति और योजनाएं, इस विशाल देश के भविष्य को न केवल उज्ज्वल बनाएंगी, बल्कि दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेंगी।