उत्तराखंड में लेखक गांव का निर्माण एक अभिनव प्रयोग है। जिसका उद्देश्य लेखकों को ऐसा स्थान उपलब्ध कराना है, जहां पर वह शांत मन से प्रकृति की गोद में रहकर अपनी रचनाओं को धरातल पर उतार सके और अपने जीवन के अंतिम क्षण लेखक गांव में रहकर सम्मानपूर्वक व्यतीत कर सके। लेखक गांव के निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो चुका है और इसका अगला चरण निर्माणाधीन है। इस लेखक गांव की परिकल्पना साहित्यकार, लेखक और राजनेता पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने की है।
निशंक ने अपनी परिकल्पना को बड़ी खूबसूरती से देहरादून के प्रकृति के सौंदर्य से भरपूर थानो गांव में उतारा है। अब यह गांव लेखक गांव के नाम से प्रसिद्ध हो गया है और विश्व मानचित्र पर स्थापित हो चुका है। इस लेखक गांव में 50 बीघा क्षेत्र में फिलहाल 12 लेखक कुटीर बनाई गई हैं। हिमालय की तलहटी पर बसा लेखक गांव हर एक को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लेखक गांव पूरे भारत का अकेला और पहला ऐसा गांव है, जो लेखकों के तीर्थ के रूप में विकसित होगा।
40 से अधिक देशों के साहित्यकार हुए एकत्रित
लेखक गांव का उद्घाटन समारोह एक उत्सव के रूप में मनाया गया। तीन दिन का अंतरराष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 के रूप में मनाया गया। इसका आयोजन स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया। 25 से 27 अक्तूबर तक यह आयोजन लेखक गांव थानो में दिव्यता, भव्यता और गरिमा के साथ हुआ। इसमें 40 से अधिक देशों से ढाई सौ से ज्यादा लेखक, साहित्यकार , साहित्य मनीषी, विचारक, चिंतक और शिक्षाविद् एक मंच पर एक साथ एकत्रित हुए, यह क्षण वास्तव में मन को छूने वाला बहुत ही मर्मस्पर्शी था।
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लेखक गांव के परिकल्पनाकार निशंक बताते हैं कि उन्होंने अपनी एक पुस्तक का विमोचन भारतीय राजनीति के दिग्गज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से करवाया था। तब उन्होंने लेखकों की व्यथा को व्यक्त करते हुए कहा था कि लेखक का जीवन बहुत ही उपेक्षित और पीड़ादायक होता है। क्या हम लेखकों के सम्मानजनक जीवन का रास्ता निकाल सकते हैं। यह बात निशंक के मन में घर कर गई और उन्होंने तभी संकल्प लिया कि वह एक ऐसा स्थान निर्मित करेंगे, जहां लेखकों को सम्मान मिले और उनका जीवन सम्मानपूर्वक व्यतीत हो सके और वे अपनी लेखनी की धार को और गति दे सकें।
पूर्व राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री शामिल
इस लेखक गांव में तीन दिन तक विभिन्न देशों के साहित्यकारों, कला प्रेमियों, उभरती हुई प्रतिभावान लेखक विभूतियां, छात्र-छात्राओं, युवाओं के साथ-साथ देश की राजनीतिक विभूतियां पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, राज्यपाल सेवानिवृत्ति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी, जाने-माने लेखक कवि प्रसून जोशी, माधुरी बर्थवाल, संत जगत की महान विभूति श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण आदि आए।
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भावपूर्ण उद्बोधन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कलम की ताकत तलवार से भी ज्यादा होती है। लेखन में एक अद्भुत क्षमता होती है लिखने, पढ़ने मात्र से आप किसी के जीवन में चमत्कार ला सकते हैं। एक लेखक के रूप में जब आप लिखते हैं तो आपको पता नहीं चलता कि आपके पास कितनी असीम शक्ति है। आप लेखन के माध्यम से लोगों के मन को प्रभावित करते हैं। बिल्कुल हताश-निराश लोगों में लेखक अपने लेखन के माध्यम से नई ऊर्जा और नई उमंग का संचार करते हैं। और यह लेखक गांव लेखकों के तीर्थस्थल के रूप में विकसित होगा। देश के पहले लेखक गांव थानो में लेखक कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, कला दीर्घा, योग-ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र, गंगा और हिमालय का मनमोहक संग्रहालय बनाया गया है।
सृजनशील युवाओं-लेखकों को मंच प्रदान करने का सुनहरा अवसर
लेखक गांव में आकर लेखक एक ही स्थान पर प्रकृति, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान से साक्षात्कार कर विविध विषयों पर चिंतन के लिए नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकेंगे। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा हिमालय में राम पुस्तक का भी विमोचन किया। लेखक गांव की इस पहली रचना को रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा लिखा गया है। राज्यपाल सेवानिवृत्ति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि देश के पहले हिमालयी लेखक गांव की स्थापना करने का यह अभिनव प्रयास न केवल हमारी संस्कृति और साहित्य को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि उत्तराखंड के सृजनशील युवाओं और लेखकों को मंच प्रदान करने का सुनहरा अवसर भी है।