लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों के साथ किस हद तक बर्बरता की गई, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई जवानों के चेहर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटों के निशान हैं। शहीद जवानों के पोस्टमार्टम में शामिल रहे अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
जवानों के शरीर की चोटों को देखकर इस बात की पुष्टि हुई है कि चीन के सैनिकों ने डंडों पर कंटीले तार लपेटकर उनसे भारतीय सैनिकों पर हमला किया, जिससे जवानों को गंभीर चोट लगीं। शहीद जवानों के शवों का पोस्टमार्टम लेह के एसएनएम हॉस्पिटल में हुआ। जिसमें ये भी खुलासा हुआ है कि कुछ जवान लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों पर चोटिल होने के बाद ठंड लगने के चलते शहीद हुए तो वहीं कुछ जवान दम घुटने के कारण अपनी जान गंवा बैठे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इकॉनोमिक टाइम्स को बताया कि करीब 17 जवानों के शरीर और चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान हैं। पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद रहे सेना के अधिकारियों को तस्वीरें खींचने की सख्त मनाही थी।
प्रारंभिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कर्नल संतोष बाबू समेत तीन जवानों के शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं है लेकिन उनके सिर में गंभीर चोट आयी है। तीन जवानों की मौत शायद डूबने से हुई है। वहीं अन्य जवानों के चेहरे और पूरे शरीर में चोट के निशान हैं। तीन जवानों का चेहरा तो पहचान में ही नहीं आ रहा है। वहीं तीन जवानों की गर्दन पर चाकू या किसी नुकीली चीज से काटे जाने का निशान है।
सेना के अधिकारियों का कहना है कि शहीद सैनिकों के शरीर पर नाखून के निशान हैं, चाइनीज सैनिकों के पास चाकू भी थे। वहीं कुछ नदी में गिर गए जिसका पानी रात के समय काफी ठंडा था। अधिकारियों के अनुसार, करीब 12 सैनिकों ने ठंड लगने और दम घुटने के चलते दम तोड़ दिया था। हिंसक झड़प में घायल हुए अन्य सैनिकों का आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
बता दें कि 15 जून की रात लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान गोलीबारी नहीं हुई और पत्थर, रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की खबर है। हालांकि अभी तक चीन सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है।
